हाथरस हादसे के कारणों और लापरवाही की जांच के लिए गठित एसआईटी ने 855 पेज की अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार, एडीजी आगरा और कमिश्रर अलीगढ़ की संयुक्त एसआईटी की रिपोर्ट में दक्षिण के कुछ राज्यों के नंबर, कुछ अधिकारी-कर्मचारी और सेवादार-आयोजक इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं। हालांकि, सूरजपाल का नाम इस रिपोर्ट में नहीं आया है।
जांच का आदेश और प्रक्रिया
दो जून की दोपहर हुए इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री स्तर से एसआईटी जांच का आदेश जारी किया गया था। एसआईटी ने 132 लोगों के बयान दर्ज किए और घटनास्थल पर जाकर जांच की। घटना के समय के सर्विलांस के जरिये बीटीएस टावर की लोकेशन भी ली गई। इसमें दक्षिण के राज्यों के चार नंबर संदिग्ध पाए गए, जिन्हें घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।
अधिकारियों और आयोजकों पर लापरवाही का आरोप
रिपोर्ट में कई अधिकारी और आयोजक हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं। थाना-तहसील से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों की लापरवाही का भी हवाला दिया गया है। सेवादारों और आयोजकों को भी लापरवाही का बड़ा जिम्मेदार माना गया है।
रिपोर्ट की गोपनीयता
रिपोर्ट को बेहद गोपनीय रखा गया है। रिपोर्ट तैयार करने वाले कर्मचारियों को निगरानी में रखा गया और उनके मोबाइल बंद कराए गए। एडीजी और मंडलायुक्त ने इस रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की और इसे शासन के जिम्मे छोड़ दिया।
देवप्रकाश के फंडिंग से जुड़े बयान
सूत्रों के अनुसार, एसआईटी ने मुख्य सेवादार के फंडिंग संबंधी बयान, मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल और बैंक खातों की जानकारी को भी जांच में शामिल किया है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।
न्यायिक आयोग की कार्रवाई
न्यायिक आयोग की टीम ने हाथरस से लखनऊ रवाना होकर सभी दस्तावेजों को एकत्रित किया। टीम ने नक्शे, अनुमति पत्र, पुलिस और प्रशासनिक रिपोर्ट सहित सभी दस्तावेजों का अवलोकन किया और बयान दर्ज किए। अब आयोग 125 लोगों को नोटिस जारी करके उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुलाएगा।
फरार सेवादारों की तलाश
एसओजी टीम और थाना पुलिस फरार सेवादारों की गिरफ्तारी के लिए दबिशें दे रही हैं। फोन कॉल की लोकेशन के आधार पर उनकी तलाश जारी है। पुलिस मुख्य आरोपी और एक अन्य आरोपी को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है।
जांच के मुख्य बिंदु
- एलआईयू ने एक लाख से अधिक भीड़ की रिपोर्ट दी, पर अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं बताया।
- आवेदकों ने 80 हजार की अनुमति मांगी, पर अधिकारियों ने उसी अनुसार प्रबंधन क्यों नहीं किया।
- हादसे वाले दिन सुबह से भीड़ एकत्रित हो रही थी, तो हादसा होने तक सचेत क्यों नहीं किया गया।
- एसआईटी जांच में चौकी, थाना और तहसील स्तर तक की लापरवाही उजागर हुई।
- एएसपी स्तर से सभी संबंधित विभागों को संसाधनों की आवश्यकता के बारे में पत्राचार किया गया था, पर संसाधन जुटाए गए या नहीं, इसकी जांच नहीं हुई।
- तीस जून और दो जुलाई की सुबह की भीड़ पर एलआईयू ने रिपोर्ट दी, पर उस पर संज्ञान नहीं लिया गया।
- स्वास्थ्य संबंधी अव्यवस्थाओं के चलते मौतों का आंकड़ा बढ़ा, ये भी लापरवाही का संकेत है।
- सेवादारों द्वारा धक्का-मुक्की और बल प्रयोग के बाद तथ्य छिपाना घटना के वृहद रूप लेने का कारण बना।
एसआईटी रिपोर्ट की गोपनीयता और विस्तृत जानकारी शासन स्तर पर एक्शन के आधार पर ही उजागर की जाएगी।