Sunday, November 24, 2024

संपत्ति विवाद: बेटियों के अधिकार और बंटवारे का कानून

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AIN NEWS 1 | संपत्ति और जमीन के बंटवारे का मुद्दा हमेशा से ही विवाद का कारण बनता रहा है। परिवारों में अक्सर यह सवाल उठता है कि बेटियों का संपत्ति पर अधिकार होता है या नहीं। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और उसने कोई वसीयत न बनाई हो, तो उसके बेटों और बेटियों के बीच संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा? अगर बेटी विवाहित है, तो स्थिति क्या होती है? आइए, इन सवालों के जवाब जानते हैं।

बेटियों का बराबर का हिस्सा

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के अनुसार, विरासत में अविवाहित बेटी और बेटों में संपत्ति बराबर बांटी जाती है। अगर बेटी विवाहित है, तो भी उसे अपने हिस्से की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होता है। वह चाहे तो अपने हिस्से की संपत्ति को छोड़ सकती है, लेकिन इसके लिए उस पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है।

रजामंदी का महत्व

बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के ओएसडी डॉ. लालकृष्ण के अनुसार, अगर बंटवारे से जुड़ा विवाद उपजिलाधिकारी (एसडीएम) कोर्ट में पहुंचता है, तो वहां सरकारी दस्तावेज में जितने भी हिस्सेदारों के नाम लिखे होते हैं, उन सभी की रजामंदी जरूरी होती है। इसमें बेटी और बहन की रजामंदी लेना भी अनिवार्य है। कोर्ट के कई फैसलों में यह स्पष्ट किया गया है कि संपत्ति में बेटी का बराबर का अधिकार होता है और किसी भी बंटवारे से पहले उनकी रजामंदी जरूरी होती है।

कोर्ट के फैसले

कोर्ट के भी कई फैसलों में इस बात को साफ कर दिया गया है कि संपत्ति में बेटी का बराबर का अधिकार होता है। किसी भी बंटवारे से पहले उनकी रजामंदी आवश्यक होती है।

निष्कर्ष

संपत्ति और जमीन के बंटवारे के मामले में बेटियों को बराबर का अधिकार दिया गया है। किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए उनकी रजामंदी जरूरी है और उन्हें अपने हिस्से की संपत्ति पर पूरा अधिकार है। बेटियों को यह अधिकार है कि वे अपने हिस्से की संपत्ति को स्वीकार करें या उसे छोड़ दें, लेकिन उनके ऊपर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला जा सकता।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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