ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित खजाना, जिसे रत्न भंडार के नाम से जाना जाता है, 46 साल बाद आज, 14 जुलाई को खोला गया। इसके लिए मुख्यमंत्री ने अंतिम मंजूरी दी थी और राज्य सरकार ने मंदिर प्रबंध समिति के लिए सभी मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी की हैं।
मंत्री का बयान: ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि रत्न भंडार के खुलने के बाद आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक को पूरे काम की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
प्रक्रिया की पारदर्शिता: मंत्री हरिचंदन ने कहा, “इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को शामिल करने का अनुरोध किया गया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक का एक प्रतिनिधि इस प्रक्रिया में शामिल होगा।”
डिजिटल कैटलॉग: गहनों की गिनती के बाद एक डिजिटल कैटलॉग बनाया जाएगा, जिसमें तस्वीरें, वजन और गुणवत्ता जैसी अन्य जानकारियां शामिल होंगी। यह कैटलॉग एक संदर्भ दस्तावेज के रूप में कार्य करेगा, जिसका उपयोग भविष्य में गिनती के दौरान किया जा सकेगा।
एसओपी का पालन: जगन्नाथ मंदिर ‘रत्न भंडार’ को खोलने के लिए गठित पैनल के अध्यक्ष और ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विश्वनाथ रथ ने कहा कि सरकार ने तीन भागों में आवश्यक एसओपी जारी किए हैं। पहला भाग रत्न भंडार खोलने के लिए, दूसरा भाग आभूषणों और कीमती सामानों को गर्भगृह के अंदर पूर्व-आवंटित कमरों में ले जाने के लिए और तीसरा भाग इन्वेंट्री के लिए है।
खुलने का समय: रत्न भंडार खोलने का सही समय दोपहर 1:28 बजे तय किया गया। इस प्रक्रिया को वीडियो रिकॉर्डिंग के दो सेटों के साथ किया जाएगा और दो प्रमाणपत्र होंगे।
खजाने की स्थिति: पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस मौके का इस्तेमाल मंदिर की मरम्मत के लिए करेगा। राज्य सरकार की गठित 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने रत्न भंडार को 14 जुलाई को खोलने की सिफारिश की थी।
खजाने का विवरण: राज्य विधानसभा में 2018 में बताया गया था कि रत्न भंडार में 12,831 तोले के स्वर्ण आभूषण हैं, जिनमें कीमती रत्न जड़े हुए हैं। साथ ही 22,153 तोले चांदी के बर्तन और अन्य सामान भी हैं।
राजनीतिक मुद्दा: भाजपा ने ओडिशा में सत्ता में आने पर 12वीं सदी के मंदिर के खजाने को फिर से खोलने का वादा किया था। मंदिर का खजाना आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था और इसे दोबारा खोलना राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा था।