AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल के दिनों में योगी आदित्यनाथ और उनके विरोधियों के बीच का विवाद गहरा हो गया है। इसका मुख्य कारण केशव प्रसाद मौर्य के विवादास्पद बयान और बीजेपी के अंदरूनी संकट के कई पहलू हैं।
केशव मौर्य के बयान और बीजेपी में बढ़ते मतभेद
केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक में कहा कि “जो आपका दर्द है, वही मेरा भी दर्द है,” और पार्टी संगठन को सरकार से बड़ा बताया। मौर्य ने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि उनका दर्द उनकी सरकार का भी दर्द है और 7 कालिदास मार्ग कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला रहेगा। मौर्य के इस बयान से कार्यकर्ताओं ने समर्थन जताया, लेकिन इसने बीजेपी में मतभेदों को उजागर किया।
लॉ एंड ऑर्डर और बीजेपी के भीतर असंतोष
बीजेपी नेताओं के अनुसार, हाल के दिनों में स्थानीय प्रशासन ने बीजेपी नेताओं की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। इसी बीच, योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए पुलिस को चेकिंग अभियान चलाने का आदेश दिया। इस अभियान के दौरान बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी को भी तलाशी का सामना करना पड़ा। कानपुर में एक बीजेपी नेता के साथ पुलिस की टकराहट हुई, जिससे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने चेकिंग अभियान पर सवाल उठाया।
डिप्टी सीएम और पार्टी के भीतर की उठापटक
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कई हफ्तों से कैबिनेट मीटिंग्स में हिस्सा नहीं लिया। इसके साथ ही बीजेपी के कुछ अन्य नेता भी सरकार की आलोचना करने लगे हैं। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के बड़े नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। नड्डा ने हार के कारणों में संविधान के नाम पर भ्रम फैलाने की विपक्ष की कोशिशों की बात की।
सरकार के खिलाफ बढ़ती बगावती बयानबाजी
मौर्य के अलावा मंत्री संजय निषाद और पूर्व मंत्री मोती सिंह ने भी सरकार की आलोचना की। निषाद ने आरोप लगाया कि नौकरशाही बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ काम कर रही है। मोती सिंह ने भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। विपक्ष को सरकार की इन कमियों पर हमला करने का मौका मिला है, जिससे बीजेपी की स्थिति कमजोर हो रही है।
योगी आदित्यनाथ का पलटवार और पुराने विवाद
योगी आदित्यनाथ ने कार्यसमिति में अपने भाषण में अति-आत्मविश्वास को हार के कारणों में एक प्रमुख कारक बताया। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष झूठ फैलाता है, तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इसका जवाब क्यों नहीं दिया। योगी और मौर्य के बीच पुराने विवादों को भी इस विवाद से जोड़ा जा रहा है। 2017 में सत्ता संभालने के बाद से दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है।
निष्कर्ष
बीजेपी को समझना होगा कि मौर्य और योगी दोनों ही पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं। पार्टी को इन आंतरिक मतभेदों को सुलझाकर एकजुटता बनाए रखने की जरूरत है, अन्यथा यह स्थिति पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है।