AIN NEWS 1: कांग्रेस ने भारत को संविधान और विभिन्न अधिनियमों के माध्यम से हिंदू धर्म के अधिकारों को सीमित किया और मुस्लिम समुदाय को विशेष अधिकार प्रदान किए।
संविधान और अधिनियमों का प्रभाव:
1. अनुच्छेद 25 : धर्मांतरण को वैध किया।
2. अनुच्छेद 28 और 30: हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली, लेकिन मुस्लिम और ईसाई समुदाय को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी।
3. एचआरसीई अधिनियम (1951): मंदिरों के धन को हिंदुओं से छीन लिया।
4. हिंदू कोड बिल : तलाक और दहेज कानून के माध्यम से हिंदू परिवारों को प्रभावित किया, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को छेड़ा नहीं। बहुविवाह की अनुमति दी।
5. विशेष विवाह अधिनियम (1954): मुस्लिम लड़कों को हिंदू लड़कियों से शादी करने की सुविधा दी।
6. आपातकाल (1975): धर्मनिरपेक्षता को संविधान में शामिल किया और हिंदुओं की नसबंदी कर देश की जनसंख्या संरचना को बदला।
7. अल्पसंख्यक आयोग कानून (1991): मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित किया, जबकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक की परिभाषा विवादास्पद है।
8. अल्पसंख्यक अधिनियम : सरकारी छात्रवृत्ति जैसे विशेष अधिकार प्रदान किए।
9. पूजा स्थल अधिनियम (1992): हिंदू मंदिरों की कानूनी स्वामित्व की प्रक्रिया को रोका।
10. वक्फ अधिनियम (1995): मुसलमानों को किसी भी भूमि पर दावा करने का अधिकार दिया, जिससे वे भारत में बड़ा ज़मीन मालिक बन गए।
11. रामसेतु हलफनामा (2007) : श्री राम के अस्तित्व को अस्वीकार किया।
12. भगवा चरमपंथ : 2009 में हिंदू धर्म को चरमपंथी घोषित किया गया।
13. कांग्रेस की चुप्पी : बुर्के, तीन तलाक पर कोई विवाद नहीं उठाया।
हिंदू अधिकारों पर असर:
– हिंदू धार्मिक शिक्षा, मंदिर, और संपत्तियाँ सरकारी नियंत्रण में हैं।
– मुस्लिम और ईसाई धार्मिक संस्थान स्वतंत्र हैं।
– वक्फ अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के विपरीत, हिंदू पर्सनल बोर्ड नहीं है।
आखिरी नोट:
– मीडिया की भूमिका : सवाल उठाने वालों को सांप्रदायिक घोषित किया जाता है।
– कांग्रेस का दुष्प्रभाव: कांग्रेस ने हिंदू धर्म के अधिकारों को सीमित किया और अब भी हिंदू समाज को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
– समय की मांग : हिंदुओं को गुलामी की मानसिकता से बाहर आकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना होगा।
निष्कर्ष:
हिंदुओं को अपनी स्थिति को समझना होगा और कांग्रेस जैसे दलों से सावधान रहना होगा जो उनके अधिकारों को सीमित करते हैं।