AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान एक नया विवाद सामने आया है। पुलिस वाले ही सॉल्वर बनकर परीक्षा में शामिल हो रहे थे। एक हालिया घटना ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया है, जिसमें पकड़े गए सॉल्वर गिरोह की जड़ें गहरी पाई गई हैं।
घटना का विवरण
अलीगढ़ में तैनात एक पीएसी सिपाही, श्रीभगवान, अपने दोस्त के भाई गजेंद्र सिंह को पास कराने के लिए उसकी जगह परीक्षा देने के लिए पहुंचा। श्रीभगवान के साथ मथुरा एसएसएफ में तैनात आरक्षी गोविंद सिंह भी था। दोनों को पकड़ने के 24 घंटे बाद पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस सॉल्वर रैकेट में और कौन लोग शामिल हैं। एएसपी नम्रिता श्रीवास्तव ने पुष्टि की है कि आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। सीओ सिटी को पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
पुलिस की चुप्पी पर सवाल
यह मामला सामने आने के बाद भी पुलिस ने 24 घंटे तक चुप्पी साधे रखी। आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद ही इस मामले की जानकारी दी गई। पुलिस अधिकारियों ने शुरू में इस मामले पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और सॉल्वर की फोटो भी जारी नहीं की गई।
पहले भी पकड़े जा चुके हैं सॉल्वर
फरवरी 2024 में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान भी सॉल्वर पकड़े गए थे। विभिन्न परीक्षा केंद्रों से 11 सॉल्वर गिरफ्तार किए गए थे। इनमें बिहार और अन्य जगहों के अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा दी थी।
परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था
सिपाही भर्ती परीक्षा के लिए सात केंद्रों पर व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। प्रत्येक केंद्र पर तीन स्तरीय जांच की व्यवस्था की गई है, जिसमें एक एएसपी, तीन सीओ, और 16 निरीक्षकों की टीम शामिल है। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी की जा रही है।
निष्कर्ष
पुलिस भर्ती परीक्षा में सॉल्वर गिरोह की घुसपैठ की यह घटना एक गंभीर मुद्दे को उजागर करती है। पुलिस को इस समस्या की जड़ तक पहुंचने और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि परीक्षा के दौरान पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी और प्रभावी उपायों की जरूरत है।