AIN NEWS 1: लेखिका तसलीमा नसरीन ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया है कि बांग्लादेश में जल्द ही शरिया कानून लागू हो सकता है, जिसका सबसे बुरा असर महिलाओं पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
तसलीमा नसरीन ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलनों में हिंसा और मौतों की घटनाएं हुई थीं। हसीना की सरकार को हटाने के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। नसरीन का कहना है कि इस नई सरकार के आने से स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
महिलाओं की स्थिति पर प्रभाव
नसरीन के अनुसार, कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों का बढ़ता प्रभाव महिलाओं के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। उनका दावा है कि शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाओं को सख्त ड्रेस कोड का पालन करना पड़ सकता है और उनके मौजूदा अधिकार छिन सकते हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि विश्वविद्यालयों में लड़कियों को ड्रेस कोड के अनुसार पहनावा अपनाने के लिए कहा गया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर
तसलीमा नसरीन ने यह भी कहा कि शरिया कानून लागू होने के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर आघात लगेगा और मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ेगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा अंतरिम सरकार ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है।
इस्लामी ताकतों का दबाव
अगस्त में तसलीमा नसरीन ने यह भी आरोप लगाया था कि जिन इस्लामी ताकतों ने उन्हें बांग्लादेश से निर्वासित किया था, वही ताकतें शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर करने के पीछे थीं। उनकी पुस्तक ‘लज्जा’ को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद नसरीन को 1990 के दशक में बांग्लादेश से बाहर निकाल दिया गया था।
तसलीमा नसरीन के इन दावों से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति में महिलाओं के अधिकारों को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। उनके अनुसार, मौजूदा परिस्थितियों में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।