AIN NEWS 1 | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दिया है। गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में योगी ने कहा कि जिस स्थान को आज कुछ लोग मस्जिद कहते हैं, वह साक्षात भगवान विश्वनाथ का स्थान है। उन्होंने इसे भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और ऋषि-संतों की समतामूलक सोच से जोड़ा।
आदि शंकर और ज्ञानवापी का इतिहास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदि शंकराचार्य द्वारा काशी में भगवान विश्वनाथ की परीक्षा का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे भगवान विश्वनाथ ने एक अछूत के रूप में आदि शंकर से संवाद किया। उन्होंने कहा कि यह स्थान वही ज्ञानवापी है, जहां आदि शंकर की साधना हुई थी और यह विश्वनाथ जी का ही स्वरूप है।
संतों की परंपरा समाज को जोड़ने वाली रही है
मुख्यमंत्री ने भारतीय संत-ऋषि परंपरा की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस परंपरा ने सदैव समरस समाज के निर्माण पर जोर दिया है। छुआछूत और अस्पृश्यता को समाज में कभी स्थान नहीं मिला। योगी ने कहा कि यदि अस्पृश्यता को पहले ही समाप्त कर दिया गया होता, तो देश कभी गुलाम नहीं होता।
नाथपंथ की भूमिका
नाथपंथ के महत्व पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस पंथ ने समाज को जोड़ने का कार्य किया है। गुरु गोरखनाथ की शिक्षाएं और उनके दोहे सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मलिक मुहम्मद जायसी से लेकर संत कबीरदास और गोस्वामी तुलसीदास ने भी गुरु गोरखनाथ की महिमा का वर्णन किया है।
गुरु गोरखनाथ की शिक्षा का महत्व
सीएम योगी ने गुरु गोरखनाथ के योगदान पर जोर देते हुए कहा कि उनकी शिक्षाओं ने समाज को एकजुट किया और सामाजिक विभाजन को समाप्त करने का कार्य किया। नाथपंथ के सिद्धांतों ने समाज के हर वर्ग को सम्मान देने की परंपरा को बढ़ावा दिया है।