AIN NEWS 1 | दिल्ली में सियासत का माहौल गरमा गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है, जिससे राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जमानत दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान किया।
मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ ही केजरीवाल ने केंद्र सरकार से नवंबर में दिल्ली विधानसभा चुनाव कराने की मांग की है। इसके अलावा, दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने भी महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में चुनाव कराने का समर्थन किया है।
क्या दिल्ली में महाराष्ट्र के साथ चुनाव संभव है?
संविधान और कानून के अनुसार, विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले चुनाव कराए जा सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, महाराष्ट्र का विधानसभा कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म हो रहा है, जबकि दिल्ली का कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त होगा। इसलिए चुनाव आयोग कानूनी तौर पर दोनों राज्यों के चुनाव एक साथ कराने का फैसला ले सकता है।
हालांकि, चुनाव आयोग को इसके लिए ठोस कारण चाहिए, और दिल्ली में चुनाव अलग-अलग कराए जाने की प्रथा रही है।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग को समय पूर्व चुनाव कराने के लिए कई प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। सबसे पहले, चुनी हुई सरकार विधानसभा भंग करने की सिफारिश करती है, जिसे उपराज्यपाल और केंद्र सरकार मंजूरी देते हैं। इसके बाद चुनाव आयोग न केवल वोटर लिस्ट अपडेट करता है, बल्कि ईवीएम की उपलब्धता, त्योहारों और सुरक्षाबलों की तैनाती जैसी आवश्यक तैयारियों को भी देखता है।
हालांकि, दिल्ली में मतदाता सूची की अपडेटिंग 1 जनवरी 2025 को होनी है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि आयोग तय समय पर ही चुनाव कराना पसंद करेगा।
आगे क्या होगा?
अरविंद केजरीवाल मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंपेंगे, जिसके बाद उनकी पार्टी के विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में नए मुख्यमंत्री का चुनाव किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में करीब एक हफ्ते का समय लग सकता है।
फिलहाल, दिल्ली में सियासी माहौल तनावपूर्ण है, और सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग क्या फैसला करता है।