AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ बलिया जिले के एक युवक ने फर्जी मार्कशीट के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस में 14 साल तक सिपाही की नौकरी की। यह राज उसके ही सगे चाचा की शिकायत के बाद खुला और अब वह बर्खास्त कर दिया गया है।
कैसे खुला फर्जीवाड़े का राज?
बलिया जिले के सैमरी गांव निवासी अखिलेश कुमार की भर्ती वर्ष 2009 में उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर सिपाही हुई थी। वर्षों तक अलग-अलग जिलों में सेवा देने के बाद 2023 में उसकी तैनाती अमरोहा जिले में थी।
जनवरी 2023 में लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में एक गोपनीय शिकायत दर्ज कराई गई। यह शिकायत अखिलेश के ही सगे चाचा विनोद कुमार ने दी थी। उन्होंने बताया कि अखिलेश कुमार ने अपनी 12वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट के जरिए नौकरी हासिल की थी।
जांच में क्या निकला?
शिकायत पर उच्च अधिकारियों द्वारा जांच कराई गई। जांच में पाया गया कि अखिलेश ने बलिया के ज्योति इंटर कॉलेज की जो मार्कशीट नौकरी में लगाई थी, वह फर्जी थी। जब यूपी बोर्ड से सत्यापन कराया गया तो वहां भी उस मार्कशीट का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
इसके अलावा शिकायतकर्ता चाचा ने एक दूसरी मार्कशीट भी प्रस्तुत की, जो उसी कॉलेज की थी लेकिन उसमें अखिलेश 12वीं में फेल था। दोनों मार्कशीट्स में अनुक्रमांक भी अलग-अलग पाए गए। इससे स्पष्ट हो गया कि जालसाजी की गई है।
आरोपी का बयान और बड़ा खुलासा
जब जांच अधिकारी तत्कालीन एएसपी राजीव कुमार सिंह के समक्ष आरोपी अखिलेश कुमार को नोटिस देकर बुलाया गया तो उसने लिखित शपथपत्र में स्वीकार किया कि उसकी मार्कशीट फर्जी थी।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि उसने यह भी बताया कि वह फर्जी मार्कशीट उसके चाचा विनोद कुमार ने ही बनवाकर दी थी। उनके ही कहने पर उसने नौकरी के लिए आवेदन किया था। लेकिन जब पारिवारिक विवाद हुआ तो उन्हीं चाचा ने उसके खिलाफ शिकायत कर दी।
कार्रवाई और एफआईआर
इस पूरे मामले में रिपोर्ट तैयार होने के बाद आरोपी सिपाही अखिलेश कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। अब उसे औपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया गया है।
आरआई (रिजर्व इंस्पेक्टर) घनश्याम ने बताया कि अमरोहा देहात थाने में अखिलेश कुमार और उसके चाचा विनोद कुमार – दोनों के खिलाफ IPC की धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
इस घटना से क्या सीख?
यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती प्रक्रिया में दस्तावेज सत्यापन की कमजोरियों को उजागर करता है। 14 साल तक एक फर्जी मार्कशीट के सहारे नौकरी कर पाना किसी भी भर्ती प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
साथ ही, यह भी सोचने योग्य बात है कि कैसे पारिवारिक विवाद एक व्यक्ति की सच्चाई को उजागर करने का कारण बन गया। यदि चाचा शिकायत नहीं करते, तो शायद यह फर्जीवाड़ा अब भी जारी रहता।
अखिलेश कुमार द्वारा फर्जी मार्कशीट से 14 साल तक पुलिस की नौकरी करना एक गंभीर अपराध है। यह घटना पुलिस भर्ती में दस्तावेज सत्यापन प्रणाली को और मजबूत करने की आवश्यकता की ओर संकेत करती है। साथ ही, यह एक चेतावनी है कि कानून से कोई भी नहीं बच सकता — चाहे वह कितने भी वर्षों से नौकरी कर रहा हो।
A shocking case has surfaced from Uttar Pradesh where a constable, Akhilesh Kumar from Baliya, served in the UP Police for 14 years using a fake class 12 marksheet. The matter came to light after his own uncle filed a complaint at the police headquarters in Lucknow. An investigation confirmed the use of a forged document from Jyoti Inter College. The constable has now been dismissed, and an FIR has been filed against both the constable and his uncle for fraud and forgery. This case highlights the flaws in document verification during recruitment in the UP Police system.