Saturday, December 21, 2024

मिलावट: खाद्य सुरक्षा का गंभीर संकट?

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AIN NEWS 1: आजकल का खान-पान कई तरह की मिलावटों से भरा हुआ है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि जीवन के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। आइए जानते हैं कि कैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों में खतरनाक सामग्रियों का प्रयोग किया जा रहा है।

1. तंदूरी परांठे और दाल मखनी

गांव के ढाबों पर परोसे जाने वाले तंदूरी परांठों में सफेद मक्खन का उपयोग होता है, जो असल में पेट्रोलियम वैक्स से भरा होता है। यह वैक्स सस्ता पड़ता है और 120 रुपये किलो में उपलब्ध है। वहीं, दाल मखनी में 45-59% क्रीम और बटर मिलाया जाता है, जो ज्यादातर फर्जी फैट से बनता है। एक सर्वे में पाया गया कि लोग अपनी ही दाल मखनी को पहचान नहीं पा रहे हैं, क्योंकि यह सभी एक समान स्वाद की होती हैं। यह दाल सिर्फ स्वाद में नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।

2. चॉकलेट और आइसक्रीम

सुंदर चॉकलेट की कोटिंग पेट्रोलियम उद्योग से निकले पैराफिन वैक्स से की जाती है, जो इसे लंबे समय तक पिघलने से बचाता है और चमकदार दिखाता है। आइसक्रीम फ्लेवर जैसे वनीला, बादाम, और नींबू भी पेट्रोलियम पदार्थों से बनाए जाते हैं।

3. ताजगी बनाए रखने के उपाय

फलों जैसे सेब और किन्नू को ताजा रखने के लिए ओलेस्त्रा या वैक्स का उपयोग किया जाता है। फ्रोजन चिकन, पिज्जा, बिस्कुट, कॉर्न चिप्स, और पॉपकॉर्न में TBHQ जैसे सस्ते पेट्रोलियम पदार्थ मिलाए जाते हैं।

4. कुकिंग ऑयल में मिलावट

2013 में भारत में कुकिंग ऑयल और घी में मिनरल ऑयल की मिलावट पकड़ी गई थी। मिनरल ऑयल मिलाने से वनस्पति तेल से बना घी कई वर्षों तक खराब नहीं होता। अब मिठाइयों, ब्रेड, और केक जैसे उत्पादों में भी इन्हें लंबे समय तक ताजा रखने के लिए रिफाइनरी से निकला मिनरल ऑयल मिलाया जाता है।

5. खाद्य सुरक्षा कानून

खाने की सुरक्षा के लिए भारत में 1954 में Food Adulteration Act बनाया गया था, लेकिन इसे 2006 में Food Safety Act में परिवर्तित किया गया। अब मिलावट का अर्थ केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं, बल्कि इसे ‘सेफ’ साबित कर दिया गया है।

6. मिलावट का गंभीर प्रभाव

खाने में मिलावट को मर्डर के बराबर माना जाना चाहिए, लेकिन आजकल मिलावटखोर इसे सेफ साबित करके लोगों के जीवन से खेल रहे हैं। जब तक खाद्य उत्पाद व्यापारिक दृष्टिकोण से बनाए जाएंगे, तब तक मिलावट और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता रहेगा।

निष्कर्ष

अगर आपका खाना किसी व्यापारी का उत्पाद है, तो वह आपकी सेहत की परवाह नहीं करेगा। मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि हम सुरक्षित और स्वस्थ खान-पान की ओर बढ़ सकें।

इस समस्या का समाधान केवल जागरूकता और सख्त कानूनों से ही संभव है। हमें समझना होगा कि स्वस्थ खाना और खाद्य सुरक्षा किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होनी चाहिए।

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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