Thursday, December 26, 2024

तिरूपति बाला जी मंदिर में प्रसाद में मिलावट के मामले के बाद, गाजियाबाद के सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मिठाई का भोग बंद?

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AIN NEWS 1 गाजियाबाद: तिरूपति बाला जी मंदिर में प्रसाद में मिलावट की घटनाओं के उजागर होने के बाद, गाजियाबाद के सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में सोमवार से भगवान को मिठाई का भोग नहीं लगाया जाएगा। यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा और विश्वास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि मिठाई का भोग नहीं लगाने का यह निर्णय मंगलवार से प्राचीन हनुमान मंदिर चौपला में भी लागू होगा। इसके अंतर्गत, वहां भी कोई बाजार की मिठाई जैसे लड्डू, बूंदी या अन्य मिठाइयाँ नहीं चढ़ाई जाएँगी। केवल फल और श्रीफल, जैसे नारियल का प्रसाद ही अर्पित किया जाएगा।

भोग के प्रकार में बदलाव

इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य और उनकी धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा करना है। विशेष रूप से, ऐसे समय में जब मिठाई में मिलावट के मामलों की संख्या बढ़ रही है, यह कदम उठाया गया है। श्रीमहंत ने यह भी बताया कि अब श्रद्धालु हनुमान जी को गुड़-चना, धागे वाली मिश्री या फल का प्रसाद चढ़ा सकेंगे।

श्रद्धालुओं का प्रतिक्रिया

इस बदलाव पर श्रद्धालुओं में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ भक्त इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। वहीं, कुछ श्रद्धालु मिठाई के भोग को पसंद करते थे और उनकी कमी को महसूस करेंगे।

धार्मिक स्थलों की सुरक्षा

मंदिर प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालुओं को केवल सुरक्षित और शुद्ध प्रसाद ही उपलब्ध कराया जाए। इस प्रकार के कदम से न केवल श्रद्धालुओं की भलाई सुनिश्चित होगी, बल्कि धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी।

इस निर्णय से यह भी संदेश जाता है कि मंदिरों में श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य और विश्वास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अन्य मंदिरों को भी इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके।

निष्कर्ष

इस प्रकार, गाजियाबाद के सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर और प्राचीन हनुमान मंदिर चौपला में मिठाई के भोग को रोकने का निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जो न केवल श्रद्धालुओं की भलाई को ध्यान में रखता है, बल्कि उनके विश्वास को भी मजबूत बनाता है। श्रद्धालुओं को अब केवल प्राकृतिक और शुद्ध प्रसाद का भोग अर्पित किया जाएगा, जिससे उनकी धार्मिक भावना को और अधिक संतोष मिलेगा।

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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