AIN NEWS 1: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव कराने की अनुमति दे दी है। हालांकि, अदालत ने कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी लगाई हैं।
चुनाव की शर्तें
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वोटों की गिनती तब तक नहीं की जाएगी जब तक विश्वविद्यालय यह साबित नहीं कर देता कि सभी प्रचार सामग्री जैसे पोस्टर, होर्डिंग, ग्रैफिटी और अन्य प्रचार संबंधी सामग्री हटा दी गई है और सार्वजनिक संपत्ति को ठीक किया गया है।
इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय परिसर में स्वच्छता और अनुशासन बनाए रखना है। अदालत ने स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान सहन नहीं किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीनों की सुरक्षा
इसके अतिरिक्त, हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVMs) और बैलट बॉक्स को सुरक्षित स्थान पर रखा जाए, जब तक कि अदालत द्वारा आगे के आदेश नहीं दिए जाते। यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और कोई भी धोखाधड़ी न हो सके।
न्यायालय का दृष्टिकोण
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इसे निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ संपन्न किया जाना चाहिए। इसीलिए, अदालत ने चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों को व्यवस्थित और नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
छात्रों की प्रतिक्रिया
छात्रों के बीच इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ छात्रों का मानना है कि यह एक सकारात्मक कदम है, जो चुनावी प्रक्रिया को बेहतर और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा। वहीं, कुछ छात्रों का कहना है कि इस प्रकार की शर्तें चुनावी प्रक्रिया को धीमा कर सकती हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति को एक नया दिशा प्रदान कर सकता है। चुनाव प्रक्रिया को सही तरीके से संचालित करना और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। छात्रों को इस आदेश का पालन करना चाहिए और चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने में सहयोग करना चाहिए।
इस प्रकार, दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया को सुचारु और प्रभावी बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं, जो छात्रों के लिए एक स्वस्थ लोकतांत्रिक माहौल का निर्माण करेगा।