AIN NEWS 1 दिल्ली: कर्नाटक सरकार द्वारा सीबीआई को मामलों की जांच के लिए आवश्यक सामान्य सहमति वापस लेने के बाद, शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने तीखे आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एक ऐसी पार्टी, जिसमें देशभर के भ्रष्टाचारियों को शरण मिलती है, वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है क्योंकि वहां कांग्रेस की सरकार है।
राउत ने कहा, “कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई का उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाना है। आप ने दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को जेल में डाल दिया, लेकिन फिर भी लोगों ने आपकी बहुमत छीन ली। आप अभी भी सबक नहीं ले रहे हैं। ऐसा क्या खेल चल रहा है?”
उन्होंने येदियुरप्पा पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “येदियुरप्पा को रिहा क्यों किया गया? उनके खिलाफ कई भ्रष्टाचार के मामले हैं। पहले उन्हें न्याय की बात करने से पहले उन मामलों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
राउत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए राज्य सरकारों को दबाने की कोशिश कर रही है। उनका यह भी कहना था कि इस तरह के राजनीतिक खेल केवल लोगों का ध्यान भटकाने के लिए हैं, जबकि असली मुद्दों पर बात नहीं की जा रही है।
राउत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक सरकार ने सीबीआई को सामान्य सहमति वापस लेने का फैसला किया है। इससे सीबीआई को राज्य में मामलों की जांच करने में कठिनाई होगी। राउत ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए खतरा है और इसे रोकने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “कर्नाटक की सरकार को इस तरह की राजनीतिक दमन का सामना करने का साहस होना चाहिए। हमें एकजुट होकर इस प्रकार के दुष्कृत्यों के खिलाफ खड़ा होना होगा।”
इस प्रकार, संजय राउत ने कर्नाटक सरकार के कदम का विरोध करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि हम इन नकारात्मक प्रवृत्तियों का सामना करें और राजनीतिक दमन को रोकें।
यह मामला न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश में राजनीतिक घटनाक्रमों पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। राउत की टिप्पणी इस बात का संकेत है कि राजनीतिक दलों के बीच की लड़ाई और भी तेज हो रही है, और इसे रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।
कुल मिलाकर, राउत का बयान कर्नाटक के राजनीतिक हालात को एक नई दिशा देने का प्रयास है, जिसमें वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं और केंद्र सरकार की राजनीति पर सवाल उठा रहे हैं।