AIN NEWS 1 नई दिल्ली: ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाई कोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें पुलिस को फाउंडेशन के खिलाफ सभी आपराधिक मामलों की जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था।
मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में पुलिस को यह निर्देश दिया था कि वह ईशा फाउंडेशन के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की पूरी जानकारी प्रस्तुत करे। यह आदेश तब आया जब कुछ शिकायतें मिली थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फाउंडेशन ने कुछ कानूनों का उल्लंघन किया है।
ईशा फाउंडेशन ने अपनी याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश असंवैधानिक और अनुचित है। फाउंडेशन ने यह भी आरोप लगाया है कि यह आदेश उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकता है और उन्हें बिना किसी कारण के बदनाम किया जा रहा है।
फाउंडेशन के प्रवक्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें विश्वास है कि हमारी स्थिति सही है। हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे और इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद करते हैं।”
ईशा फाउंडेशन, जो मानवता के कल्याण के लिए विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न है, ने यह भी बताया कि इसके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी गतिविधियाँ हमेशा कानून के दायरे में रही हैं और उन्होंने समाज के लिए सकारात्मक योगदान दिया है।
यह मामला तब और महत्वपूर्ण हो गया जब यह देखा गया कि कुछ राजनीतिक और सामाजिक समूहों ने फाउंडेशन के खिलाफ एक मुहिम छेड़ रखी है। फाउंडेशन का कहना है कि यह सब उनकी बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव के कारण हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ईशा फाउंडेशन ने न्यायालय से अपील की है कि वह मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करे और पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वे बिना किसी ठोस आधार के फाउंडेशन के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें।
इस मामले की अगली सुनवाई जल्द ही होगी, जिसके बाद यह स्पष्ट होगा कि सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय लेता है। फाउंडेशन के समर्थक इस मामले को लेकर चिंतित हैं और उनके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उनकी संस्था को न्याय मिले।
ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने की थी और यह विभिन्न सामाजिक, शैक्षिक और पर्यावरणीय परियोजनाओं में संलग्न है। फाउंडेशन का दावा है कि उन्होंने लाखों लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है।अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो इस मामले में अंतिम निर्णय देगा।