AIN NEWS 1: दिल्ली के विनोद नगर वार्ड से बीजेपी के पार्षद रविंदर सिंह नेगी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे दुकानदारों से अपने असली नामों की नेमप्लेट लगाने का दबाव डालते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में वे दुकानदार से पूछते हैं, “आपका नाम क्या है? अल्तमस तोमर? आप मुस्लिम हो न? तो हिंदू नाम क्यों लिखा है?”
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https://x.com/ravinegi4bjp/status/1839709321254334868?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1839709321254334868%7Ctwgr%5Ec2bcfc3f5cdca4be5cdb7e77d2d0474b95d1f4c0%7Ctwcon%5Es1_c10&ref_url=https%3A%2F%2Fd-6581360421062665561.ampproject.net%2F2409191841000%2Fframe.html
नेगी ने स्पष्ट किया कि उनका किसी भी मुस्लिम व्यक्ति से व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन उनका यह मानना है कि दुकानदारों को अपने असली नाम से दुकान चलानी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमने दुकानदार से कहा है कि आप अपना असली नाम रखिए। हिंदू नाम रखकर हिंदुओं के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहे हैं?”
इस बयान के पीछे एक बड़ा विवाद है, जो हाल के दिनों में दुकानों के नामों को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा हुआ है। पार्षद ने कहा कि पटपड़गंज विधानसभा में किसी भी दुकान का नाम हिंदू नाम रखते हुए मुस्लिम पहचान का प्रयोग नहीं होना चाहिए। वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि दुकानदारों को उनके असली नाम का उपयोग करना चाहिए, वरना उनकी दुकानें बंद कर दी जाएंगी।
वीडियो में, नेगी दुकानदार से कहते हैं, “आपका असली नाम होना चाहिए। गलत नाम लिखकर हिंदुओं को तंग कर रहे हो।”
इस मामले में रविंदर सिंह नेगी का इतिहास भी गौर करने योग्य है। वे 2020 में पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, जहां उन्हें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से हार का सामना करना पड़ा था। अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने बेहतर पटपड़गंज बनाने की बात की है, लेकिन हालिया बयान उनके इस मकसद के विपरीत प्रतीत होता है।
यह मामला न केवल दिल्ली में बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इस बयान को भेदभावपूर्ण मानते हैं, जबकि कुछ इसे स्थानीय पहचान के संरक्षण के रूप में देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं, जिनमें से कई नेगी के बयान की आलोचना कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, यह मामला विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और सहिष्णुता की आवश्यकता को दर्शाता है, और यह सवाल उठाता है कि क्या राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे बयान देना सही है या नहीं।