AIN NEWS 1: राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी में एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें पुलिस अधीक्षक ज्येष्ठा मैत्रेयी के मोबाइल फोन की लोकेशन उनके ही विभाग के सात पुलिसकर्मियों द्वारा गुपचुप तरीके से ट्रेस की जा रही थी। इस मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आरोपित पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है।
मामला क्या है?
6 अक्टूबर को भिवाड़ी की एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी को अपने मोबाइल की लोकेशन ट्रेस होने की जानकारी मिली। यह जानकर वह सन्न रह गईं कि उनके अपने ही महकमे के पुलिसकर्मी उनके फोन की गतिविधियों पर नज़र रख रहे थे। इस गंभीर शिकायत के बाद उन्होंने पुलिस मुख्यालय को शिकायत पत्र लिखा, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस मुख्यालय में हड़कंप मच गया।
कार्रवाई
पुलिस मुख्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए। जांच के बाद, 7 अक्टूबर को भिवाड़ी साइबर सेल के एक सब इंस्पेक्टर सहित सात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंड किए गए पुलिसकर्मियों में सब इंस्पेक्टर श्रवण जोशी, हेडकांस्टेबल अवनीश कुमार, और कांस्टेबल राहुल, सतीश, दीपक, भीम और रोहिताश शामिल हैं। सभी पुलिसकर्मी मिलकर एसपी की लोकेशन को ट्रेस कर रहे थे।
सवाल उठते हैं
इस मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिरकार ये पुलिसकर्मी किसके इशारे पर काम कर रहे थे? क्या ये कोई व्यक्तिगत मामला था या इससे बड़ा कोई साजिश चल रही थी? एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी ने कहा कि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उनके ही विभाग के लोग ऐसा करेंगे। यह मामला न केवल भिवाड़ी बल्कि पूरे राज्य के पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है।
ज्येष्ठा मैत्रेयी का परिचय
ज्येष्ठा मैत्रेयी मध्य प्रदेश के गुना की निवासी हैं। उन्होंने 2017 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और 2018 में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद राजस्थान कैडर में पहली बार उदयपुर में एएसपी के रूप में कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्हें भीलवाड़ा, जयपुर क्राइम ब्रांच, सिरोही, कोटपूतली, और बहरोड़ में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया। हाल ही में उन्हें भिवाड़ी एसपी के पद पर नियुक्त किया गया है।
निष्कर्ष
यह मामला राजस्थान पुलिस की आंतरिक सुरक्षा और भरोसे को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। पुलिस अधीक्षक की सुरक्षा और उनके अधिकारों का उल्लंघन करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि विभाग में अनुशासन और विश्वास बना रहे। पुलिस मुख्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए हैं, लेकिन अब देखने की बात होगी कि जांच के बाद और कौन-कौन से तथ्यों का खुलासा होता है।