AIN NEWS 1: बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार ने दुर्गा पूजा के अवसर पर हिंदू समुदाय के प्रति सकारात्मक कदम उठाते हुए पहली बार दो अतिरिक्त छुट्टियों की घोषणा की है। इस तरह, बांग्लादेश में इस त्योहार के लिए कुल चार दिन की छुट्टी रहेगी। यह निर्णय बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमलों और अत्याचारों के संदर्भ में आया है, जो अगस्त में हुए राजनीतिक संकट के बाद बढ़ गए थे।
प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस, जो कि बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार हैं, ने हिंदू समुदाय को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बांग्लादेश एक सांप्रदायिक सद्भाव वाला देश है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दुर्गा पूजा केवल हिंदू समुदाय का त्योहार नहीं है, बल्कि यह सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यूनुस ने कहा, “यह त्योहार बुरी शक्तियों का विनाश और सत्य तथा सौंदर्य की पूजा का प्रतीक है। हमारा संविधान सभी धर्मों और जातियों के लोगों को समान अधिकारों की गारंटी देता है। यह देश हम सभी का है।”
गौरतलब है कि अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले तेज हो गए थे। इस स्थिति की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई है। ऐसे में यूनुस सरकार ने दुर्गा पूजा के अवसर पर छुट्टियों का ऐलान कर, देश की छवि को सुधारने की कोशिश की है।
बांग्लादेश में लगभग 9 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती है, और दुर्गा पूजा पर अतिरिक्त छुट्टियों का ऐलान इस समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यूनुस ने बताया कि पिछले वर्षों में दुर्गा पूजा के लिए केवल एक दिन की छुट्टी होती थी, लेकिन इस बार कार्यवाहक सरकार ने इस त्योहार के महत्व को देखते हुए इसे बढ़ाकर दो दिन कर दिया है। इन छुट्टियों को वीकेंड के साथ जोड़कर चार दिन का अवकाश मिलेगा।
इसके अलावा, सरकार ने उन लोगों को मुआवजा देने का निर्णय भी लिया है, जो हाल के हमलों से प्रभावित हुए हैं। प्रेस सचिव अबुल कलाम आजाद ने इस फैसले की जानकारी दी और कहा कि अतिरिक्त छुट्टियों का कार्यकारी आदेश जारी किया जाएगा।
दूसरी ओर, ढाका में हिंदू समुदाय के लोग दुर्गा पूजा की तैयारियों में जुटे हुए हैं और सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा कि सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियां सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय हैं। उन्हें विश्वास है कि सरकार और अन्य राजनीतिक दल भी पूजा समारोह में सुरक्षा के लिए सहयोग करेंगे।
इस प्रकार, बांग्लादेश सरकार की यह पहल न केवल अल्पसंख्यक समुदाय के लिए राहत का संकेत है, बल्कि यह देश के लिए एक नई दिशा भी निर्धारित करती है, जहां सभी धर्मों और जातियों को समान अधिकार और सुरक्षा मिलेगी।