AIN NEWS 1 मुंबई: शिवसेना के नेता संजय निरुपम ने कहा है कि शिवसेना की दशहरा रैली का ऐतिहासिक महत्व है। उन्होंने बताया कि वर्षों तक शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे दशहरा रैलियों में अपने विचारों को व्यक्त करते थे। इन रैलियों के दौरान, वह हिंदुत्व के प्रति अपने दृष्टिकोण को शिवसैनिकों के सामने रखते थे और कांग्रेस की नीति पर आलोचना करते थे, जिसे उन्होंने ‘अपराधी’ बताया था।
निरुपम ने यह भी कहा कि आज के समय में स्थिति यह है कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उन्होंने हिंदुत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को त्याग दिया है। उनका कहना है कि जब उद्धव ठाकरे शिवाजी पार्क में रैली करेंगे, तो वह हिंदुत्व के विषय में बात नहीं कर पाएंगे, क्योंकि इससे उनके मुस्लिम वोट बैंक को नुकसान पहुंचेगा।
संजय निरुपम ने यह स्पष्ट किया कि जहां बालासाहेब ठाकरे के विचारों को स्वतंत्रता और सच्चाई से व्यक्त किया जाएगा, वह जगह आज़ाद मैदान है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वहां रैली को संबोधित करेंगे और शिवसेना के संस्थापक के हिंदुत्व के विचारों को पेश करेंगे।
निरुपम के अनुसार, आज़ाद मैदान में आयोजित होने वाली रैली में लोग बालासाहेब ठाकरे की मूल विचारधारा को सुनेंगे, जो आज के राजनीतिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह रैली न केवल शिवसेना के कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत होगी, बल्कि हिंदुत्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी फिर से मजबूत करेगी।
इस संदर्भ में, निरुपम ने बताया कि उद्धव ठाकरे के कांग्रेस के साथ संबंधों ने पार्टी की हिंदुत्व की धारणा को कमजोर किया है। उन्होंने कहा कि यदि उद्धव ठाकरे सच में हिंदुत्व के प्रति समर्पित होते, तो उन्हें अपने राजनीतिक हितों को नहीं देखना चाहिए था।
संजय निरुपम ने रैली के प्रति जनता से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में आएं और इस अवसर का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि यह रैली एक नए अध्याय की शुरुआत होगी, जिसमें शिवसेना अपने मूल सिद्धांतों के प्रति अपनी वफादारी को फिर से स्थापित करेगी।
शिवसेना की दशहरा रैली का यह आयोजन न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महाराष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाता है। निरुपम ने सभी शिवसैनिकों से आग्रह किया कि वे इस रैली में सक्रिय भाग लें और बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को जीवित रखें।
यह रैली महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जहां शिवसेना एक बार फिर से हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी आवाज उठाएगी।