AIN NEWS 1 | आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हुई घटना को “शर्मनाक” बताया और इसे अपराध और राजनीति के गठजोड़ का नतीजा कहा। उन्होंने इस घटना पर पश्चिम बंगाल सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए न्याय में देरी की आलोचना की। भागवत ने कहा कि देश में अपराध और राजनीति का यह मेल एक विषाक्त संस्कृति को जन्म दे रहा है, जो समाज के लिए विनाशकारी है। उनके अनुसार, यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि इस तरह की घटनाओं से सतर्क रहना जरूरी है।
भागवत के इस बयान के बाद, तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने आरएसएस प्रमुख की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि मणिपुर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हो रही घटनाओं पर मोहन भागवत ने चुप्पी क्यों साधी है। घोष ने कहा कि आरजी कर मामले में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की और आरोपी को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया। फिर भी, भागवत ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की, जबकि बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कुछ नहीं कहा।
घोष ने मोहन भागवत के बयान को बीजेपी का “प्रामाणिक” नेता करार दिया और दावा किया कि यह आरएसएस प्रमुख की नहीं, बल्कि बीजेपी के नेता की आवाज है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी अपने सही अध्यक्ष की तलाश में है, लेकिन इस प्रकार की राजनीति समाज के लिए हानिकारक है।
घोष के बयान ने इस मुद्दे को और राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना दिया है। टीएमसी ने आरएसएस और बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर बीजेपी शासित राज्यों में कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही, जबकि पश्चिम बंगाल में तेजी से न्याय प्रक्रिया जारी है।
निष्कर्ष
यह विवाद उस वक्त गहरा हो गया है जब पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच पहले से ही राजनीतिक तनाव है। मोहन भागवत के बयान ने एक बार फिर से बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव को बढ़ा दिया है।