FBI के ‘वांटेड’ विकास यादव का प्रत्यर्पण होगा चुनौतीपूर्ण: जानें अमेरिका के सामने की मुश्किलें

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AIN NEWS 1 | पूर्व रॉ अधिकारी विकास यादव को खालिस्तान समर्थक नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अमेरिका ने यादव को “मोस्ट वांटेड” लिस्ट में डालते हुए उनके प्रत्यर्पण के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी और अन्य आरोपों के कारण यह प्रक्रिया कठिन हो सकती है।

प्रत्यर्पण में मुश्किलें:

  1. डकैती और अपहरण के आरोप: दिल्ली पुलिस ने यादव पर डकैती और अपहरण के आरोप लगाए हैं, जिनमें उन्हें 10 साल की सजा हो सकती है। यह आरोप उनके प्रत्यर्पण के लिए एक बड़ा रोड़ा बन सकते हैं।
  2. विभिन्न मामलों की लंबी प्रक्रिया: भारतीय अदालतों में कई मामले वर्षों से लंबित हैं, जिससे यह संभावना है कि यादव के मामले में फैसला आने में समय लगेगा। उन्हें केवल तब प्रत्यर्पित किया जा सकता है जब मामला अदालत में निपट जाएगा, और यदि दोषी ठहराए जाते हैं, तो उन्हें अपनी सजा पूरी करनी होगी।

कोलमैन हेडली का मामला:

इस बीच, भारत अमेरिका को डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के प्रत्यर्पण की लंबित मांग पर एक और रिमाइंडर भेज सकता है। हेडली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है, ने 26/11 मुंबई हमलों के लिए रैकी की थी, जिसमें 150 से अधिक लोगों की जान चली गई थी, जिनमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।

हेडली की प्रत्यर्पण प्रक्रिया:
हेडली के प्रत्यर्पण में मुश्किलें उसके अमेरिका के ड्रग एन्फोर्समेंट एजेंसी (DEA) के साथ गहरे संबंधों के कारण हो सकती हैं। हेडली ने भारतीय भूमि पर अमेरिकी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर प्रवेश किया था, जिससे जांच में रुकावट आई।

राणा का मामला:
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई ट्रेवल एजेंट है और 26/11 हमले में हेडली की सहायता कर रहा था, का भी प्रत्यर्पण लंबित है। अमेरिकी अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है, लेकिन उनके वकीलों ने भारत में उनके खिलाफ कार्यवाही को विफल करने के लिए नई तरकीबें अपनाई हैं।

निष्कर्ष:
विकास यादव का प्रत्यर्पण एक जटिल प्रक्रिया बन सकती है, जिसमें विभिन्न कानूनी और राजनीतिक चुनौतियाँ सामने आएंगी। इसके साथ ही, भारत को हेडली और राणा के मामलों में भी आगे बढ़ने के लिए अमेरिका के साथ काम करना होगा।

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