AIN NEWS 1 नई दिल्ली: वायु प्रदूषण आज विश्व भर में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हाल ही में, मेदांता अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा, श्वसन और नींद चिकित्सा के अध्यक्ष और पूर्व AIIMS निदेशक डॉ. रंजीत गुलेरिया ने इस पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 8 मिलियन लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण हुई। यह संख्या COVID-19 से हुई मृत्यु से अधिक है।
वायु प्रदूषण का प्रभाव
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि भारत में हाल के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि यदि वायु में PM 2.5 का स्तर 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बढ़ता है, तो यह मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। यह स्थिति मुख्यतः श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं के कारण होती है। वायु प्रदूषण फेफड़ों में सूजन और संक्रमण को बढ़ाता है, जिससे मरीजों को आईसीयू या वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है, और यह उच्च मृत्यु दर की ओर ले जाता है।
हृदय और अन्य अंगों पर प्रभाव
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हृदय रोग वाले लोगों में वायु प्रदूषण रक्त वाहिकाओं में सूजन का कारण बनता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण का प्रभाव केवल फेफड़ों और हृदय तक सीमित नहीं है। प्रदूषण के ये सूक्ष्म कण, जो 2.5 माइक्रोन से छोटे होते हैं, फेफड़ों से होकर शरीर के अन्य अंगों में प्रवेश कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के दीर्घकालिक प्रभाव भी गंभीर हैं। अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण से डिमेंशिया, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, मधुमेह और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। ये सभी स्थितियां जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं।
जागरूकता और उपाय
डॉ. गुलेरिया ने यह भी बताया कि हमें COVID-19 के प्रति चिंता तो है, लेकिन वायु प्रदूषण के खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह आवश्यक है कि हम सभी इस विषय पर जागरूकता बढ़ाएं और इसके खिलाफ उपाय करें। प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हमें सरकार की नीतियों का समर्थन करना चाहिए और व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रयास करने चाहिए, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, हरित क्षेत्रों का विस्तार, और स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को अपनाना।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है, जो न केवल हमारे श्वसन और हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस समस्या से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि हम स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में रह सकें।
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। हमें इसके प्रति जागरूक रहना होगा और स्वस्थ जीवन के लिए कदम उठाने होंगे।