Tuesday, December 24, 2024

उत्तर प्रदेश में दिवाली के बाद प्रदूषण ने बढ़ाई चिंता, दिल्ली की स्थिति भी चिंताजनक?

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AIN NEWS 1: दिवाली के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। इस बार की दिवाली में पटाखों के इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंधों का कोई प्रभाव नजर नहीं आया। जबकि दिल्ली में भी वायु गुणवत्ता काफी खराब हो गई है, उत्तर प्रदेश के शहरों ने इसे पीछे छोड़ दिया है।

AQI की रिपोर्ट

हाल ही में जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के संभल शहर में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है, जहां AQI 423 दर्ज किया गया है। इसके बाद मुरादाबाद (AQI 414), रामपुर (AQI 407), सहारनपुर (AQI 387), और बदायूं (AQI 383) का नाम आता है। पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली, अंबाला और मेरठ भी इस सूची में शामिल हैं, जिनका AQI क्रमशः 383, 383, 383, 379 और 374 है।

दिल्ली का AQI 353 है, जिससे वह प्रदूषित शहरों की सूची में 11वें स्थान पर है। यह स्थिति दिवाली की रात पटाखों की धूमधाम के कारण हुई है।

दिल्ली की स्थिति

दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या गहराई पकड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद, राजधानी में बड़े पैमाने पर आतिशबाजी की गई। दिल्ली सरकार ने पटाखों पर रोकथाम के लिए 377 प्रवर्तन दल गठित किए थे और जागरूकता फैलाने का प्रयास किया था, लेकिन इसके बावजूद पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली में उल्लंघनों की खबरें आईं।

धुंध का असर

दिवाली के बाद से दिल्ली में धुंध छा गई है, जिससे 2020 के गंभीर प्रदूषण के हालात की यादें ताजा हो गई हैं। पिछले रात, पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर क्रमशः 145.1 और 272 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गए थे।

दिल्ली सरकार ने लगातार पांचवे साल भी राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, लेकिन इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा।

निष्कर्ष

दिवाली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया गया, लेकिन इसके बाद प्रदूषण की गंभीर स्थिति ने एक नई चुनौती पैदा कर दी है। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में जहरीली हवा ने लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर दिया है। अब समय है कि सरकार और नागरिक दोनों मिलकर इस समस्या का समाधान खोजें, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।

यह स्थिति सभी के लिए चिंताजनक है और हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आगामी त्योहारों में पर्यावरण का ध्यान रखा जाए।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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