Sunday, November 24, 2024

महाकुंभ 2025 में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक की मांग: बागेश्वर बाबा?

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AIN NEWS 1: प्रयागराज में 2025 में होने वाले महाकुंभ को लेकर संत और धार्मिक गुरु बागेश्वर बाबा ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने महाकुंभ में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है। बागेश्वर बाबा का मानना है कि महाकुंभ, जो हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र आयोजन है, केवल हिंदू धर्मावलंबियों के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पवित्र आयोजन का उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठानों और आत्मशुद्धि के लिए है, और इस दौरान हिंदुओं को बिना किसी विघ्न के अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार होना चाहिए।

बागेश्वर बाबा का बयान

बागेश्वर बाबा ने अपने हालिया संबोधन में कहा कि महाकुंभ हिंदू धर्म की परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसमें शामिल होने वाले लोगों का उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेना, स्नान करना और अपने पापों का प्रायश्चित करना होता है। उनका तर्क है कि गैर-हिंदू लोग, जो इस आयोजन से जुड़े मूल्यों और आस्थाओं को नहीं मानते, उन्हें इस आयोजन में प्रवेश की अनुमति देना अनुचित है। उन्होंने कहा कि अन्य धर्मों के लोग, जो महाकुंभ के महत्व और उसकी धार्मिकता को नहीं समझते, वहां आकर केवल पर्यटन या अन्य उद्देश्यों से जुड़ सकते हैं, जिससे आयोजन की पवित्रता प्रभावित होती है।

 

महाकुंभ का महत्व

 

महाकुंभ हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। इसका महत्व हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक है, क्योंकि इसे आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। करोड़ों लोग महाकुंभ में शामिल होते हैं और इसे एक पवित्र यात्रा के रूप में देखते हैं, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान का विशेष महत्व है।

गैर-हिंदुओं का प्रवेश क्यों वर्जित होना चाहिए?

बागेश्वर बाबा के अनुसार, महाकुंभ हिंदू धर्म का ही आयोजन है और इसका उद्देश्य उन लोगों को आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का अवसर प्रदान करना है, जो इस धर्म की मान्यताओं में विश्वास रखते हैं। बाबा का कहना है कि गैर-हिंदुओं का महाकुंभ में आना न केवल आयोजन की धार्मिकता को प्रभावित करता है, बल्कि वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी असुविधा पैदा कर सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर सख्त नियम बनाना चाहिए ताकि आयोजन की गरिमा और पवित्रता बनी रहे।

आलोचना और समर्थन

बागेश्वर बाबा के इस बयान पर समाज में कई प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन मानते हैं और इसे विभाजनकारी दृष्टिकोण के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि महाकुंभ एक सार्वभौमिक आयोजन है और इसे किसी विशेष धर्म तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। वहीं, कुछ लोग बाबा के समर्थन में हैं और मानते हैं कि यह हिंदू धर्म की परंपराओं और आयोजनों की रक्षा के लिए जरूरी कदम हो सकता है।

सरकार की प्रतिक्रिया

अब तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में सुरक्षा और व्यवस्था के लिहाज से इस प्रकार के सुझावों पर विचार किया जा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस विषय पर क्या निर्णय लिया जाएगा।

निष्कर्ष

महाकुंभ के पवित्र आयोजन में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक की मांग ने एक नई बहस को जन्म दिया है। धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं की सुरक्षा के बीच समावेशिता और धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल भी सामने आता है। बागेश्वर बाबा का यह सुझाव अब एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है और आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इसे किस प्रकार से हल किया जाता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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