AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। पार्टी और राज्य सरकार में महत्वपूर्ण फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। यह बदलाव यूपी विधानसभा चुनाव 2027 से पहले पार्टी के संगठन और सरकार को मजबूत करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। इन बदलावों की प्रक्रिया में तेजी तब आएगी जब आगामी उपचुनाव के परिणाम सामने आएंगे। इसके बाद भाजपा के अंदर बदलावों को लेकर गहमा-गहमी बढ़ेगी, और संभावना जताई जा रही है कि संगठन से लेकर योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल तक कई अहम फैसले हो सकते हैं।
संगठनात्मक बदलाव की कवायद शुरू
भा.ज.पा. में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो जनवरी के अंत तक पूरी हो सकती है। इस चुनाव प्रक्रिया के तहत पार्टी के बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक बदलाव किए जाएंगे। इसके बाद योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि संगठन चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में कई चेहरों को अहम जिम्मेदारियां मिल सकती हैं, जबकि कुछ मंत्रियों का कद घटाया भी जा सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नई उम्मीदें
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के बारे में चर्चा हो रही है कि वे एक बार फिर योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नामों की चर्चा भी चल रही है, जिनमें से कुछ मंत्री भी दावेदार माने जा रहे हैं। खासकर, योगी सरकार में शामिल दो मंत्री और एक पूर्व मंत्री प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं।
उपचुनाव के बाद बढ़ेगी गतिविधि
लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेताओं के बीच मंथन तेज हो गया है। चुनाव परिणाम की समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि भाजपा के उम्मीदवारों का जनता से संपर्क कम था, जिससे पार्टी की हार हुई। इसी को लेकर भाजपा ने अब संगठनात्मक बदलावों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। संगठन चुनाव के बाद योगी मंत्रिमंडल में भी बड़े बदलाव हो सकते हैं, जिनकी चर्चा अभी से शुरू हो चुकी है।
संगठन चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना
भा.ज.पा. में संगठन चुनाव का कार्य 15 नवंबर से शुरू हो रहा है। सबसे पहले बूथ स्तर पर चुनाव होंगे, इसके बाद मंडल और जिला स्तर पर चुनाव होंगे। जनवरी के अंत तक प्रदेश स्तर पर चुनाव पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद संगठन में बदलाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना है।
योगी मंत्रिमंडल में बदलाव के संकेत यह भी हैं कि जिन मंत्रियों के पास दो या दो से अधिक विभागों का जिम्मा है, उनकी जिम्मेदारी कम की जा सकती है। योगी आदित्यनाथ ने साफ निर्देश दिया है कि मंत्रियों को परफॉर्म करके दिखाना होगा। जो मंत्री अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाए हैं, उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है।
मंत्री और संगठन में नए चेहरे
योगी सरकार के पहले कार्यकाल में शामिल कुछ मंत्रियों की कैबिनेट में फिर से वापसी हो सकती है। वहीं, कुछ मंत्रियों को संगठन में भेजा जा सकता है, ताकि वे पार्टी का जनाधार फिर से जनता के बीच बढ़ा सकें। इस समय पीडब्लूडी (लोक निर्माण विभाग) का जिम्मा संभालने वाले जितिन प्रसाद अब सांसद बन चुके हैं, जिससे यह मंत्री पद खाली हो गया है। इस पद के लिए कई नए दावेदार सामने आ रहे हैं।
लखनऊ से दिल्ली तक नेताओं की सक्रियता
इस बदलाव की प्रक्रिया के बीच लखनऊ से दिल्ली तक नेताओं का दौरा बढ़ गया है। कई नेता बड़े पदों के लिए दावेदारी कर रहे हैं और चेहरों को साधने के लिए सक्रिय हैं। इसके अलावा संगठन के नए ढांचे में बदलाव के बाद कुछ नए चेहरों को जिम्मेदारी मिल सकती है, जबकि योगी मंत्रिमंडल में भी बड़े फेरबदल की उम्मीद है।
योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर समीक्षा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। इसमें उन मंत्रियों को निशाना बनाया जा रहा है जो अपने काम में पिछड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री का निर्देश है कि काम जमीन पर दिखना चाहिए, और जो मंत्री अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पाए हैं, उनके बारे में निर्णय लिया जा सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावना
कुछ मंत्रियों के बारे में चर्चा है कि वे प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं। इन नेताओं के पास संगठन को चलाने का अच्छा अनुभव है, और सरकार में रहने की वजह से वे संगठन और सरकार के बीच की खाई को पाट सकते हैं। इस सबके बीच पार्टी के नेताओं में एक नई उम्मीद का माहौल बन गया है कि 2027 के चुनावों से पहले यूपी भाजपा संगठन और सरकार को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन और योगी मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन बदलावों का उद्देश्य पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयार करना है। संगठन चुनाव की प्रक्रिया जनवरी तक पूरी होने के बाद इन बदलावों पर तेजी से चर्चा होगी और कई नेताओं को नए अवसर मिल सकते हैं। भाजपा के भीतर इस समय जो बदलाव की प्रक्रिया चल रही है, वह आगामी चुनावों में पार्टी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।