Wednesday, November 6, 2024

सात फेरे लेकर मुस्लिम युवती ने अपनाया सनातन धर्म, बताया क्यों किया यह फैसला?

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AIN NEWS 1 सीतापुर (यूपी): यूपी के सीतापुर जिले में एक मुस्लिम युवती ने अपने प्रेमी के साथ हिन्दू रीति-रिवाज से शादी की और सनातन धर्म अपनाने का कारण भी बताया। यह घटना रामकोट थाना क्षेत्र के माता काली मंदिर की है, जहां नूरी नाम की युवती ने अपना नाम बदलकर निशा रखा और हिन्दू धर्म अपनाया। इस अनोखी शादी के बाद निशा ने बताया कि उसने यह कदम अपने दिल की आवाज सुनकर उठाया, और इसका कारण बहराइच में हुए हालिया हिंसा के बाद का अनुभव है।

प्यार में धर्म का बाधा बनना

सीतापुर के मछरेहटा निवासी अखिलेश कुमार और नूरी के बीच डेढ़ साल से प्रेम संबंध थे। अखिलेश एक फैक्ट्री में काम करते थे, जहां उनकी मुलाकात नूरी से हुई थी। दोनों का प्रेम बहुत गहरा था, लेकिन परिवारों की असहमति और धर्म के अंतर के कारण शादी में रुकावट आ रही थी। खासतौर पर नूरी के मुस्लिम परिवार ने इस रिश्ते को मंजूरी नहीं दी थी।

हिंदू संगठन से मदद मिली

परिवार की असहमति के बावजूद दोनों ने हार नहीं मानी। उन्होंने हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास हिन्दू से मदद ली, जिन्होंने दोनों प्रेमी-प्रेमिका को सीतापुर बुलवाया। सीतापुर आने के बाद नूरी ने पूरी विधि-विधान से हिन्दू धर्म अपनाया और माता काली मंदिर में अखिलेश के साथ शादी के सात फेरे लिए। शादी के बाद नूरी ने अपना नाम बदलकर निशा रख लिया।

निशा का सनातन धर्म अपनाने का कारण

निशा ने शादी के बाद बताया, “मेरा नाम पहले नूरी था, लेकिन अब मैंने अपना नाम बदलकर निशा रख लिया है। मैंने अपनी मर्जी से सनातन धर्म अपनाया और अखिलेश के साथ शादी की है। यह फैसला मैंने बहराइच में हुई हिंसा के बाद लिया। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि जिस धर्म में इंसानियत की कद्र नहीं होती, वहां रहना ठीक नहीं है।”

अखिलेश ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बहराइच में जो हुआ वह बहुत दुखद था। जिस धर्म में इंसान को इंसान न समझा जाए, वहां रहना मेरे लिए मुश्किल था। निशा ने अपनी मर्जी से सनातन धर्म अपनाया और हम दोनों ने मिलकर शादी की।”

समाज और परिवार का दृष्टिकोण

निशा के परिवार ने उसकी इस शादी से दूरी बना ली, जबकि अखिलेश के परिवार ने उसे अपनाया और उसे अपने घर ले गए। दोनों ने अपने जीवन की नई शुरुआत की, और अब उनका लक्ष्य एक दूसरे के साथ मिलकर अपने धर्म, संस्कृति और मान्यताओं के अनुसार जीवन जीने का है।

इस अनोखी शादी ने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है कि समाज में धर्म और मान्यताओं के भेदभाव के बावजूद दो व्यक्ति अपने प्यार और विश्वास के कारण किस हद तक समाज की परवाह किए बिना अपने रिश्ते को आगे बढ़ा सकते हैं।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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