AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि महाराजगंज जिले में अवैध रूप से घर तोड़े जाने के मामले में प्रभावित परिवारों को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। इस मामले में यूपी सरकार ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना के नाम पर कई घरों को बिना उचित प्रक्रिया के बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्रवाई को “अराजक” और “मनमानी” करार दिया और मामले की गहराई से जांच की आवश्यकता जताई।
क्या है मामला?
मामला यूपी के महाराजगंज जिले का है, जहां सड़क चौड़ीकरण के नाम पर कई घरों को अचानक बुलडोजर से तोड़ दिया गया। इस कार्रवाई के खिलाफ मनोज टिबरेवाल नामक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की। याचिका में बताया गया कि लोगों को बिना पूर्व नोटिस दिए ही उनके घरों पर बुलडोजर चलाया गया। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “आप कैसे बिना किसी प्रमाण और उचित प्रक्रिया के लोगों के घर तोड़ सकते हैं? यह पूरी तरह से अराजकता है। किसी के घर में इस तरह घुसना और उसे गिराना कानून का उल्लंघन है।” जस्टिस चंद्रचूड़ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या कोई नोटिस जारी किया गया था? सरकार के वकील ने माना कि 123 अवैध निर्माण थे, लेकिन नोटिस की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला ने कहा कि राज्य सरकार को नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) के आदेशों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने पूछा कि “क्या यह सभी निर्माण अनाधिकृत थे? यदि हां, तो पिछले 50 वर्षों में राज्य सरकार ने इन पर क्या कार्रवाई की?”
अचानक बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि सड़क चौड़ीकरण के नाम पर रात में पीले निशान लगा दिए गए थे और अगली सुबह बिना सूचना दिए बुलडोजर लाकर घरों को ध्वस्त कर दिया गया। जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “यह अधिग्रहण का मामला है, लेकिन घर तोड़ने की बजाय परिवारों को घर खाली करने का समय देना चाहिए था। चौड़ीकरण केवल एक बहाना नजर आता है, इससे कार्रवाई का उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता।”
जांच की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच की आवश्यकता पर जोर दिया। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने न ही किसी दस्तावेज के माध्यम से यह साबित किया कि एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग) की चौड़ाई का निर्धारण किया गया था, और न ही यह बताया गया कि किस प्रकार अतिक्रमणों की पहचान की गई थी। NHRC की रिपोर्ट में भी संकेत मिलता है कि तोड़े गए क्षेत्र में चिह्नित अतिक्रमण से अधिक तोड़फोड़ की गई।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रभावित परिवारों को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को बिना उचित प्रक्रिया के की गई इस कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और आगे की जांच में सभी तथ्यों का खुलासा किया जाएगा।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने बिना उचित प्रक्रिया के घर तोड़े जाने जैसी अवैध कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया है। कोर्ट ने साफ किया कि राज्य सरकार किसी भी परियोजना के लिए कानून का पालन करे और बिना पूर्व नोटिस के लोगों के घरों को न तोड़े।