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सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है जहां अधिकांश नागरिकों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता
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यह छूट भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA) के तहत दी गई है
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केवल स्थानीय निवासी जो 1975 से पहले सिक्किम में बसे थे, उन्हें ही यह छूट मिलती है
🗺️ क्यों सिक्किम को मिला टैक्स में छूट का अधिकार?
भारत में हर टैक्स योग्य नागरिक को अपनी आमदनी पर इनकम टैक्स देना होता है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम इसका एक अपवाद है।
सिक्किम 330 साल तक एक स्वतंत्र रियासत रहा और 1975 में भारत में शामिल हुआ।
उस समय हुए संवैधानिक समझौते में यह तय किया गया कि सिक्किम की कर व्यवस्था पहले जैसी बनी रहेगी।
📜 आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA) क्या कहती है?
साल 2008 में लागू की गई धारा 10(26AAA) के अनुसार:
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26 अप्रैल 1975 से पहले सिक्किम का निवासी रहा कोई व्यक्ति
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या उसका वंशज
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अगर वह सिक्किम में ही रहकर कमाई करता है
तो उसे इनकम टैक्स नहीं देना होता, चाहे वह कमाई वेतन, ब्याज या व्यापार से हो।
❌ किन पर यह नियम लागू नहीं होता?
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जो लोग दूसरे राज्यों से आकर सिक्किम में बसते हैं, उन्हें टैक्स देना होता है
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यदि कोई सिक्किम का निवासी देश के किसी अन्य हिस्से में कमाई करता है, तो उस पर टैक्स लागू होता है
🔎 क्या यह टैक्स नीति विवादास्पद है?
सिक्किम की यह व्यवस्था अक्सर “टैक्स समानता” के नजरिए से सवालों के घेरे में रही है।
कुछ लोग मानते हैं कि पूरे देश में टैक्स नियम एक समान होने चाहिए।
लेकिन सिक्किम के लोग इसे अपनी संस्कृति, पहचान और संवैधानिक अधिकार से जुड़ा मानते हैं।
Sikkim is the only state in India where most residents are exempt from paying income tax, thanks to Section 10 (26AAA) of the Income Tax Act. This provision honors a historic agreement made during Sikkim’s merger with India in 1975, allowing its traditional tax system to remain intact. Only residents who lived in Sikkim before the merger and their descendants qualify for this exemption. This policy continues to spark national debate over tax equity, yet remains a unique cultural and legal identity for Sikkimese people.