AIN NEWS 1: दिल्ली में आयोजित सनातन धर्म संसद के दौरान कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने एक विवादित बयान दिया है, जिसने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है। देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि “जो हमें काटना चाहेंगे, उन्हें हम देख लेंगे,” इस बयान ने सनातन धर्म बोर्ड की आवश्यकता को लेकर उठाए गए सवालों को भी तूल दिया।
यह धर्म संसद पूर्वी दिल्ली के पांचवे पुश्ते पर आयोजित की गई, जिसमें हजारों सनातनी श्रद्धालु मौजूद थे। इस आयोजन का नेतृत्व देवकीनंदन ठाकुर ने किया, और साथ ही सनातन धर्म बोर्ड के गठन की मांग की गई। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी, श्री रामजन्म भूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी महाराज, महामंडलेश्वर नवल किशोर महाराज, और अन्य प्रमुख संत भी मौजूद थे।
धर्म संसद में देवकीनंदन ठाकुर के बयान
देवकीनंदन ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ मंदिरों में हाल ही में प्रसाद में पशुओं की चर्बी पाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे सनातन धर्म पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा, “सरकारी अधिकारियों को पूजा और विधि का कोई ज्ञान नहीं है, ऐसे में वे मंदिरों की देखरेख और रक्षा कैसे कर सकते हैं?” इसके साथ ही उन्होंने सनातन धर्म बोर्ड की मांग की, ताकि मंदिरों की सुरक्षा और उचित देखरेख हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म के संरक्षण के लिए गुरुकुल की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और हिन्दू बच्चियों के विवाह सिर्फ हिंदू परिवारों में ही होने चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने हलाल सर्टिफिकेट वाली कंपनियों का बहिष्कार करने की बात भी की।
“हिंदू हक अब लेकर रहेंगे”
अपने संबोधन में देवकीनंदन ठाकुर ने एक नारा भी दिया, “बहुत सह लिया, अब न सहेंगे, हिंदू हक अब लेके रहेंगे,” और कहा कि अब हम बटेंगे नहीं और न ही कटेंगे। उनका यह बयान समाज में एकजुटता की अपील करते हुए हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने की बात कर रहा था।
धर्म संसद में अन्य संतों के बयान
धर्म संसद में अन्य संतों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जब तक सनातन धर्म और हिंदू धर्म के प्रति निष्ठा नहीं होगी, तब तक बोर्ड के गठन में सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हिंदू एक हो जाएं तो कोई भी हमें अलग नहीं कर सकता है।
महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि सनातन धर्म बोर्ड का गठन देश की जरूरत है और यह बोर्ड जल्द ही बनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार या अन्य शक्तियां इसे नहीं मानेंगी, तो सनातनी इसे अपनी एकजुटता और शक्ति के माध्यम से लागू करेंगे।
देश की रक्षा की जिम्मेदारी जनता की
पंडित प्रदीप मिश्र ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे और कहा कि सनातनी अपनी राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए शास्त्रों और शस्त्रों का साथ लेकर चलेंगे। उन्होंने देश में हिंदू धर्म की एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
संविधान और धार्मिक बोर्डों पर विचार
साध्वी सरस्वती ने अपने बयान में कहा कि वक्फ बोर्ड का कोई अस्तित्व भारत की भूमि पर नहीं होना चाहिए। उनका कहना था कि सनातन धर्म बोर्ड का गठन होने से कोई भी ताकत इसे रोक नहीं सकती। वे इस बात पर भी जोर देती हैं कि समय रहते सनातन धर्म बोर्ड का गठन होना चाहिए, नहीं तो अन्य उपायों को अपनाया जाएगा।
समाप्ति
इस धर्म संसद में दिये गए बयानों और मांगों से यह स्पष्ट हो गया है कि सनातन धर्म के अनुयायी अपनी आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संगठित हो रहे हैं। देवकीनंदन ठाकुर और अन्य संतों का कहना है कि इस बोर्ड के गठन से धार्मिक परंपराओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और हिंदू धर्म के अनुयायी अपनी आवाज उठा सकेंगे।
धर्म संसद ने न केवल धार्मिक विचारों को प्रस्तुत किया बल्कि इसने एक राजनीतिक एजेंडा भी प्रस्तुत किया, जिसमें हिंदू समाज को एकजुट होने और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
संतों की यह सभा देश में धार्मिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का आह्वान करती है, और यह समय की आवश्यकता है कि इस विचार को गंभीरता से लिया जाए।