AIN NEWS 1 नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एक दिव्यांग हिंदू छात्रा रिचा ने धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने और भेदभाव का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। यह मामला 16 अक्टूबर 2024 को सामने आया, जब रिचा ने विश्वविद्यालय प्रशासन और कुछ मुस्लिम छात्रों पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए धमकाने और उत्पीड़न का आरोप लगाया। हालांकि, एक महीने बाद भी पुलिस ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है, जिससे रिचा और उनके परिवार में आक्रोश है।
रिचा ने कहा कि वह इस विश्वविद्यालय में एक साल से अधिक समय से मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें बार-बार इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जाता रहा है, और इसके विरोध करने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। रिचा ने अपनी शिकायत में कहा कि इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि कुछ शिक्षक भी इसमें शामिल थे।
रिचा की शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि उन्हें एक बार रेप की धमकी दी गई थी, जब उन्होंने इस्लाम कबूलने और हिजाब पहनने से इंकार कर दिया था। इसके बाद, उन्होंने इस घटना की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को दी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद, रिचा ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। रिचा का कहना है कि उन्हें बार-बार पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत कोर्ट जाने की सलाह दी जाती है, जबकि वह पुलिस से उम्मीद कर रही थीं कि उनकी शिकायत पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल
रिचा के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया और उल्टे उन्हें ही परेशान किया। 26 अक्टूबर 2024 को रिचा को विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार द्वारा एक कानूनी नोटिस भेजा गया, जिसमें रिचा पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने झूठी जानकारी दी है। रिचा का कहना है कि उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया क्योंकि आरोप पूरी तरह से निराधार थे। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार ने धमकी दी कि यदि रिचा अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगी तो उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया जाएगा।
रिचा ने बताया कि विश्वविद्यालय में उनकी स्थिति को लेकर कोई बदलाव नहीं आया। उन्हें लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा। उन्होंने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि 10 जुलाई 2023 से उन्हें अनचाहे फोन कॉल्स आने लगे थे, और बाद में पता चला कि उनका फोन नंबर विश्वविद्यालय के एक छात्र ने सार्वजनिक कर दिया था। इसके अलावा, अन्य छात्रों ने उनके खिलाफ अफवाहें फैलाकर उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश की थी।
धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाने पर रिचा को मिली धमकियां
रिचा ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया कि 2023 में अगस्त और अक्टूबर के महीनों में, उन्हें और उनके जैसे अन्य छात्रों को चुप रहने के लिए दबाव डाला गया। उन्हें बताया गया कि यदि वे हिंदू धर्म या राम मंदिर के बारे में कोई टिप्पणी करते हैं, तो उनका समाज में बहिष्कार किया जाएगा। रिचा का कहना है कि उन्हें विशेष सुविधाओं की जरूरत थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें अस्वीकार कर दिया, जबकि अन्य छात्रों को राहत दी गई थी।
रिचा का कहना है कि जब उन्होंने इस उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें ही दोषी ठहराया और उन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया। इसके बाद, उनके घर पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाने वाला पत्र भी भेजा गया।
जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में धार्मिक भेदभाव की रिपोर्ट
हाल ही में, एक रिपोर्ट ‘कॉल फॉर जस्टिस’ ने भी जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में धार्मिक भेदभाव और धर्मांतरण के प्रयासों की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर गैर-मुसलमान छात्रों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला जाता है। रिपोर्ट में कुल 27 घटनाओं का हवाला दिया गया है, जो दर्शाती हैं कि यहां गैर-मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मानसिक रूप से परेशान किया जाता है।
धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कदम की आवश्यकता
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि धर्मांतरण के इस प्रकार के प्रयासों को रोकने के लिए कड़े कानूनों की जरूरत है। उनका मानना है कि जबरन धर्मांतरण करने वालों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। बंसल ने कहा कि ऐसे मामलों में सरकारी कार्रवाई और जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि धार्मिक स्वतंत्रता को बचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि धर्मांतरण में शामिल लोगों की संपत्ति जब्त करे और उन्हें कड़ी सजा दी जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश का संविधान और कानून सख्ती से लागू हो।
रिचा की कहानी ने कई सवाल उठाए हैं, और अब यह देखना होगा कि क्या पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले पर सख्त कार्रवाई करेंगे, ताकि धर्मांतरण के इन प्रयासों को रोका जा सके और रिचा को न्याय मिल सके।