उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 550 साल पुरानी शाही जामा मस्जिद को लेकर जिला अदालत के आदेश ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
19 नवंबर को अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में कोर्ट कमिश्नर ने मस्जिद का दौरा किया। हिंदू पक्ष की याचिका में दावा किया गया कि यह मस्जिद पहले हिंदू मंदिर थी। इस पूरे मामले ने स्थानीय लोगों और मस्जिद कमेटी के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।
विवाद की शुरुआत
हिंदू पक्ष ने एक अपील दायर कर कहा कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था। अदालत ने उसी दिन याचिका पर सुनवाई करते हुए मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश जारी कर दिया।
स्थानीय लोगों और मस्जिद कमेटी का आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया जल्दबाजी और पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
- इतिहास का हवाला:
मस्जिद के अंदर एक पत्थर पर उसके निर्माण और मरम्मत से जुड़ी जानकारी अंकित है।- इसका निर्माण 1528 में मीर हिंदू बेग ने बाबर के आदेश पर कराया था।
- 1657 में रुस्तम खान ने मस्जिद की मरम्मत कराई।
- 1626 में सैयद कुतुब ने उत्तरी विंग को फिर से तैयार करवाया।
- पीढ़ियों का विश्वास:
स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद में कई पीढ़ियों से नमाज अदा की जा रही है। इसके बावजूद इसे मंदिर बताना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और माहौल बिगाड़ने की कोशिश है।
मस्जिद कमेटी की प्रतिक्रिया
मस्जिद कमेटी के प्रेसिडेंट एडवोकेट जफर अली ने इसे 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि मस्जिद थी, मस्जिद है, और मस्जिद ही रहेगी।
उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश की कॉपी प्राप्त कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991?
इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले मौजूद पूजा स्थलों की स्थिति को बरकरार रखने का प्रावधान है। किसी पूजा स्थल का धार्मिक स्वरूप बदलने पर रोक लगाई गई है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- शाही जामा मस्जिद का निर्माण 1528 में बाबर के सेनापति मीर हिंदू बेग ने कराया था।
- इसके अलावा बाबर के शासनकाल में दो अन्य मस्जिदें भी बनीं।
- मस्जिद का इतिहास मुगलकालीन शासन और बाद की मरम्मतों का प्रमाण है।
सवालों के घेरे में प्रक्रिया
- एक दिन में अपील, सुनवाई और आदेश:
स्थानीय लोगों का कहना है कि अदालत ने तेजी से कार्रवाई करते हुए एक ही दिन में सर्वे का आदेश जारी किया, जो शक पैदा करता है। - सुरक्षा और माहौल बिगाड़ने की आशंका:
मस्जिद में पहले भी शरारती तत्वों द्वारा विवाद पैदा करने की कोशिश की गई है, जिसे पुलिस ने समय रहते रोका।
निष्कर्ष
शाही जामा मस्जिद का यह विवाद न केवल धार्मिक भावनाओं को भड़काने का खतरा पैदा करता है, बल्कि स्थानीय शांति और सौहार्द को भी प्रभावित कर सकता है।
ऐतिहासिक प्रमाणों और कानून के प्रावधानों के आधार पर इस मामले को सुलझाने की जरूरत है, ताकि धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बना रहे।