AIN NEWS 1 मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ‘मन की बात’ के 116वें एपिसोड में एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि चिड़ियां, खासकर घरों में पाई जाने वाली चिड़ीया (Sparrow), हमारे पर्यावरण और जैव विविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन आजकल शहरों में इन चिड़ियों का मिलना बहुत कम हो गया है। शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव और पर्यावरण में हो रहे बदलावों के कारण, चिड़ियां खासकर घरों में पाई जाने वाली चिड़ीया धीरे-धीरे गायब होती जा रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आज के बच्चों ने शायद ही कभी चिड़ियों को अपनी आँखों से देखा हो, और उन्हें केवल तस्वीरों या वीडियो में ही देखा होगा। चिड़ियों के लुप्त होते इस सिलसिले को रोकने के लिए कुछ विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इन प्यारी चिड़ियों को बच्चों के जीवन में फिर से वापस लाया जा सके।
इस दिशा में चेन्नई का ‘कुडुगल ट्रस्ट’ एक अनोखी पहल कर रहा है। इस ट्रस्ट ने स्कूलों के बच्चों को चिड़ियों के संरक्षण के अभियान में शामिल किया है। ट्रस्ट के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को यह बताते हैं कि चिड़ियों का हमारे जीवन में क्या महत्व है। इसके साथ ही बच्चों को यह भी सिखाया जा रहा है कि चिड़ियों के लिए घोंसले कैसे बनाए जाते हैं।
चिड़ियों के घोंसले बनाने का प्रशिक्षण
इस ट्रस्ट के लोग बच्चों को छोटे-छोटे लकड़ी के घर बनाने का तरीका सिखाते हैं। इन घरों में चिड़ियाँ आराम से रह सकती हैं और उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी की जाती है। बच्चों को यह कार्य करके न केवल चिड़ियों के प्रति सजीव दृष्टिकोण प्राप्त हो रहा है, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण की ओर भी प्रेरित हो रहे हैं।
यह पहल बच्चों में प्राकृतिक जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरणीय संवेदनशीलता भी उत्पन्न कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है, जो बच्चों को प्रकृति से जोड़ने में मदद करेगा और चिड़ियों के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि अगर हर स्कूल और समुदाय इस तरह के प्रयासों को बढ़ावा दें, तो हम अपने आसपास के पर्यावरण को और भी समृद्ध बना सकते हैं। चिड़ियों के घोंसले बनाने की इस पहल से न केवल बच्चों का जुड़ाव होगा, बल्कि चिड़ियों के लिए उपयुक्त पर्यावरण भी तैयार होगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संदेश से यह स्पष्ट है कि प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते को मजबूत करने के लिए हमें बच्चों को शिक्षा और जागरूकता देने की आवश्यकता है। यदि हम चिड़ियों और अन्य जानवरों के संरक्षण के लिए इस तरह के कदम उठाएं, तो भविष्य में हम एक हरित और समृद्ध पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकते हैं।