AIN NEWS 1 संभल। मुगलकालीन जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा ने गंभीर रूप ले लिया है। इस मामले में सपा सांसद डॉ. जिया उर रहमान बर्क और स्थानीय विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल समेत 2,750 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने छह नामजद और 2,750 अज्ञात लोगों पर सात अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं। अब तक 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
जिले में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। प्रशासन ने 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के जिले में प्रवेश पर रोक लगा दी है। हिंसा के मद्देनजर संभल तहसील में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और सोमवार को सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया गया। हिंसा की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
कैसे भड़की हिंसा?
जिला पुलिस अधीक्षक केके बिश्नोई ने बताया कि सपा सांसद बर्क के भड़काऊ बयान से स्थिति बिगड़ी। बर्क ने जामा मस्जिद की हिफाजत को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी। इस बयान के कारण भीड़ ने उग्र रूप ले लिया। घटना के समय बर्क बेंगलुरु में थे, लेकिन उनके बयान के आधार पर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया।
पुलिस जांच के अनुसार, हिंसा में शामिल लोग 10-15 किमी दूर से जुटे थे। रविवार को भड़की इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी, हालांकि प्रशासन ने चार मौतों की पुष्टि की है। हिंसा में कई सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
मामले में सख्त कार्रवाई
मुरादाबाद रेंज के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि हिंसा में मारे गए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में देसी कट्टों से चली गोलियों की पुष्टि हुई है। पुलिस ने नकासा और कोतवाली थाने में सात एफआईआर दर्ज की हैं और उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
राजनीतिक हलचल
हिंसा के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की मांग की और घटना को भाजपा की साजिश करार दिया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर सांसद बर्क के खिलाफ दर्ज मुकदमे में हस्तक्षेप की अपील की। अखिलेश ने कहा कि जब बर्क घटना के समय संभल में मौजूद ही नहीं थे, तो उनके खिलाफ केस क्यों दर्ज किया गया।
अतिरिक्त सुरक्षा के इंतजाम
मस्जिद और आसपास के क्षेत्रों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। इलाके में लगातार गश्त जारी है। प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सतर्क है।
संभल में हिंसा के बाद उपजे हालात ने एक बार फिर धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को चर्चा में ला दिया है। मामले में सख्त कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।