AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका खारिज करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों को कड़ी फटकार लगाई। यह याचिका भारत में बैलट पेपर के जरिए चुनाव कराने की मांग कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल:
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाने का चलन राजनीतिक हार-जीत पर आधारित है। कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा,
“जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम सही होती है। लेकिन जब आप हारते हैं, तो ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया जाता है।”
चंद्रबाबू नायडू और जगनमोहन रेड्डी का जिक्र
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर चर्चा के दौरान आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और वर्तमान मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी का उदाहरण दिया। कोर्ट ने कहा कि जब चंद्रबाबू नायडू चुनाव हार गए थे, तो उन्होंने ईवीएम पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। अब, जब जगनमोहन रेड्डी चुनाव में पीछे चल रहे हैं, तो उन्होंने भी इसी तरह का आरोप लगाया।
बैलट पेपर की मांग खारिज
जनहित याचिका में कहा गया था कि ईवीएम की जगह बैलट पेपर का इस्तेमाल किया जाए, क्योंकि इससे चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और भरोसेमंद हो जाएगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे तर्कहीन बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
ईवीएम की सुरक्षा पर कोर्ट का भरोसा
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ईवीएम एक विश्वसनीय और सुरक्षित प्रणाली है, जिसे समय-समय पर अपडेट और जांचा जाता है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी चुनाव में हार-जीत लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, और हारने पर ईवीएम पर सवाल उठाना उचित नहीं।
निष्कर्ष
इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि बिना ठोस प्रमाण के ईवीएम पर सवाल उठाना न केवल गलत है, बल्कि चुनाव प्रक्रिया को बेवजह विवादित बनाता है। कोर्ट ने राजनीतिक दलों को सलाह दी कि वे लोकतांत्रिक प्रणाली पर विश्वास बनाए रखें और हार को स्वीकार करना सीखें।