Wednesday, November 27, 2024

बांग्लादेश: हिंदू धर्मगुरु चिन्मय दास की गिरफ्तारी से बढ़ा तनाव, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई जारी?

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AIN NEWS 1: बांग्लादेश में इन दिनों हिंदू समुदाय पर हो रहे हमले और उनके धर्मगुरु चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी से स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। चिन्मय दास, जो इस्कॉन और सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, की रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

गिरफ्तारी कैसे हुई?

चिन्मय दास को 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया। सादे कपड़ों में आए अधिकारियों ने उन्हें वैन में जबरदस्ती बैठाकर हिरासत में लिया। बांग्लादेश पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया है। दावा किया गया है कि उन्होंने अक्टूबर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेशी झंडे का अपमान किया। हालांकि, इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधा रमन दास ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई बताया।

तनाव के कारण और बढ़े हमले

चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद से चटगांव और अन्य हिंदू-बहुल इलाकों में सांप्रदायिक हमले तेज हो गए हैं। कट्टरपंथियों ने हिंदू मोहल्लों, मंदिरों और दुकानों पर हमला किया। दिनाजपुर में एक श्मशान घाट पर कब्जा किए जाने की भी खबरें आईं।

चिन्मय दास की मांगें

चिन्मय दास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे थे। उनकी प्रमुख मांगें थीं:

1. स्पेशल ट्रिब्यूनल: अल्पसंख्यकों पर हमलों के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधिकरण का गठन।

2. मुआवजा और पुनर्वास: पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए पुनर्वास और वित्तीय सहायता।

3. कानून का प्रावधान: अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष कानून।

4. देवोत्तर संपत्तियां वापस: मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों की संपत्तियों को अवैध कब्जों से मुक्त कराना।

5. दुर्गा पूजा की छुट्टी: दुर्गा पूजा के लिए पांच दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित करना।

6. शैक्षिक सुधार: अल्पसंख्यकों के लिए पाली और संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देना।

अल्पसंख्यकों की स्थिति

बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नया नहीं है। 1951 में देश की गैर-मुस्लिम आबादी 23.2% थी, जो 2011 तक घटकर 9.4% रह गई। 1964 से 2013 के बीच करीब 1 करोड़ हिंदू बांग्लादेश छोड़ने को मजबूर हुए।

शेख हसीना के इस्तीफे और नई सरकार के गठन के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं। इस्कॉन मंदिरों और दुर्गा पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया है।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने बांग्लादेश सरकार से हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि धार्मिक स्थलों को अपवित्र करने और हिंसा फैलाने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकार और सुरक्षा की यह लड़ाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रही है। चिन्मय दास की रिहाई और हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम बांग्लादेश की लोकतांत्रिक छवि के लिए निर्णायक होंगे।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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