AIN NEWS 1: दिल्ली के कालिंदी कुंज क्षेत्र में यमुना नदी में प्रदूषण का भयावह रूप सामने आया है। गुरुवार सुबह 7:45 बजे ड्रोन से लिए गए दृश्य में नदी की सतह पर जहरीला झाग तैरता हुआ दिखा। इस दृश्य ने एक बार फिर से यमुना की खराब स्थिति और उसमें लगातार बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे को उजागर किया है।
कैसे बनता है यह जहरीला झाग?
विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना में झाग बनने का मुख्य कारण औद्योगिक कचरा, घरेलू सीवेज और डिटर्जेंट जैसे रसायनों का नदी में सीधा गिरना है। ये रसायन पानी में मिलकर झाग बनाते हैं, जो नदी के पानी को न केवल जहरीला बना देता है, बल्कि जलीय जीवन और पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाता है।
प्रदूषण का स्रोत
1. औद्योगिक कचरा: यमुना के किनारे स्थित फैक्ट्रियां अपने अपशिष्ट को बिना साफ किए सीधे नदी में छोड़ देती हैं।
2. सीवेज का बहाव: दिल्ली और आस-पास के इलाकों के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। इसका नतीजा यह होता है कि अनुपचारित गंदा पानी सीधे यमुना में पहुंचता है।
3. डिटर्जेंट और अन्य रसायन: कपड़े धोने और अन्य घरेलू कार्यों में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट की वजह से झाग की मात्रा बढ़ती है।
पर्यावरण पर प्रभाव
यमुना में बढ़ता प्रदूषण न केवल जलीय जीवों के लिए खतरनाक है, बल्कि इसका प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ रहा है। नदी का पानी जहरीला होने के कारण यह खेती के लिए अनुपयोगी हो गया है। इसके अलावा, पानी में घुले हुए जहरीले रसायन स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
प्रशासन का रुख
हालांकि सरकार और प्रशासन ने यमुना की सफाई के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन उनकी क्रियान्वयन में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। यमुना एक्शन प्लान जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए, लेकिन प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आई।
समस्या का समाधान
सख्त नियम और उनका पालन: औद्योगिक कचरे को सीधे नदी में छोड़ने पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का सुधार: सभी ट्रीटमेंट प्लांट्स को पूरी क्षमता से काम करना चाहिए।
जनजागरूकता अभियान: लोगों को नदी में कचरा और अन्य रसायन फेंकने से रोकने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
यमुना में प्रदूषण का यह स्तर पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। जब तक सरकार, औद्योगिक क्षेत्र और आम नागरिक मिलकर इसके समाधान के लिए कदम नहीं उठाते, तब तक स्थिति और खराब होती जाएगी। यह समय है कि यमुना को बचाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाएं।