AIN NEWS 1 नई दिल्ली: एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अजमेर शरीफ के सूफी संत मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर चल रहे एक विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में एक अदालत ने एक सिविल मुकदमे में नोटिस जारी किया था, जिसमें दावा किया गया था कि अजमेर शरीफ की दरगाह में एक शिव मंदिर स्थित है। इस पर ओवैसी ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे देश के लिए खतरनाक बताया।
ओवैसी ने कहा, “अजमेर की दरगाह 800 साल से अस्तित्व में है। देश के हर प्रधानमंत्री ने ‘उर्स’ के दौरान दरगाह पर चादर भेजी है। अब इस प्रकार के विवादों का क्या मतलब है? क्या यह धार्मिक स्थल क़ानून 1991 को खतरे में डालने की कोशिश नहीं है?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह सब देश में अस्थिरता फैलाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। ओवैसी ने कहा, “यह जो कुछ भी हो रहा है, वह देश की एकता और भाईचारे के खिलाफ है। जो लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं, वे सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी और आरएसएस से जुड़े हुए हैं। इसे कोई भी नकार नहीं सकता।”
ओवैसी ने इसके बाद भारतीय कानून का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के विवादों से देश की सामाजिक एकता को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा, “हम बार-बार कह रहे हैं कि यह सब देश के हित में नहीं है। यह किसी और का एजेंडा हो सकता है, लेकिन यह हमारे देश की एकता और शांति को नुकसान पहुंचा सकता है।”
ओवैसी ने इसके साथ ही यह भी सवाल उठाया कि क्या यह एक तरह से धार्मिक स्थलों के विवादों को लेकर एक बड़े पैमाने पर साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इससे धार्मिक भावनाएं भड़क सकती हैं और समाज में और अधिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
किसी ने नहीं किया इनकार
ओवैसी का आरोप है कि इस मामले में जो लोग सक्रिय हैं, वे बीजेपी और संघ परिवार के करीबी हैं, और कोई भी यह नहीं कह सकता कि उनका इन संगठनों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस तरह के विवाद बढ़ते गए, तो इससे सामाजिक ताने-बाने में और ज्यादा दरारें पड़ सकती हैं, जो देश के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।
इस मामले को लेकर ओवैसी ने सरकार से यह भी आग्रह किया कि धार्मिक स्थलों के विवादों को बढ़ावा देने के बजाय, एकजुटता और सौहार्द को बढ़ावा दिया जाए। उनका कहना है कि यह कदम देश को अस्थिर करने का एक तरीका हो सकता है।
कानूनी स्थिति
बता दें कि 1991 का धार्मिक स्थल क़ानून, जो धर्मस्थलों की स्थिति को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देता है, इस तरह के विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाता है। इस कानून के तहत, किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में परिवर्तन करने की अनुमति नहीं है, जिससे देश में धार्मिक उन्माद को बढ़ावा न मिले।
अंत में, ओवैसी ने यह साफ कहा कि इस तरह के विवादों को उठाना न सिर्फ सांप्रदायिक सौहार्द को खतरे में डालता है, बल्कि यह पूरे देश की शांति के लिए भी हानिकारक है।