AIN NEWS 1 मुंबई: चार साल की बच्ची के इलाज के नाम पर साढ़े चार करोड़ रुपये की फर्जी क्राउडफंडिंग का मामला सामने आया है। ठगों ने फिल्म अभिनेत्री सना खान का नाम और सोशल मीडिया वीडियो का दुरुपयोग कर लोगों को धोखा दिया। माटुंगा पुलिस ने तीन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
आरोपियों ने दावा किया कि चार साल की इनारा काजी नामक बच्ची को “स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी” नामक गंभीर बीमारी है और उसका इलाज हिंदुजा अस्पताल में चल रहा है। उन्होंने एक ऐप “इम्पैक्ट गुरु” के जरिए इलाज के लिए 17 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा। ऐप पर बच्ची और उसके परिवार से जुड़ी फर्जी जानकारी दी गई और लोगों से मदद की अपील की गई।
लोगों का विश्वास जीतने के लिए 11 जनवरी को सना खान का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया, जिसमें वह बच्ची के इलाज के लिए मदद मांगती नजर आ रही थीं।
फर्जी वीडियो और सोशल मीडिया पर शक
यह वीडियो सामाजिक कार्यकर्ता आरिफ अहमद शेख को संदिग्ध लगा। उन्होंने हिंदुजा अस्पताल जाकर बच्ची के बारे में जानकारी जुटाई। जांच में पता चला कि अस्पताल में इनारा काजी नाम की कोई बच्ची भर्ती नहीं है। यहां तक कि इस नाम की बच्ची का इलाज वहां कभी हुआ ही नहीं।
पुलिस में शिकायत और मामला दर्ज
आरिफ ने कुर्ला स्थित अदालत में याचिका दायर कर जांच की मांग की। अदालत ने माटुंगा पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए। जांच में सामने आया कि जनवरी से जून 2024 के बीच आरोपियों ने साढ़े चार करोड़ रुपये जुटाए। इस राशि को इलाज के बजाय निजी ऐशो-आराम में खर्च किया गया।
आरोपियों की पहचान और पुलिस कार्रवाई
पुलिस ने निकहत खान, नौफिल काजी और पीयूष जैन के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश की धाराओं (406, 420, 120बी, 465, 467, 468, 471, 34) के तहत केस दर्ज किया है। सभी आरोपी नागपाड़ा के निवासी हैं। डीसीपी रागसुधा आर के अनुसार, सना खान का इस मामले से कोई संबंध नहीं है।
ठगी के पैसे कहां गए?
पुलिस को शक है कि आरोपियों ने पहले भी इसी तरह फर्जी क्राउडफंडिंग कर लोगों से बड़ी रकम वसूली होगी। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद और जानकारी मिलने की संभावना है।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस ने बताया कि सना खान के नाम और वीडियो का इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह किया गया, लेकिन सना खान का इस ठगी से कोई संबंध नहीं है। जांच जारी है, और आरोपियों से जल्द पूछताछ की जाएगी।
निष्कर्ष: यह मामला समाज में भरोसे का दुरुपयोग और क्राउडफंडिंग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। पुलिस की जांच में नई परतें खुलने की उम्मीद है।