AIN NEWS 1: बांग्लादेश के चटगांव में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई नहीं हो सकी। सुनवाई के दौरान अदालत में उनकी ओर से दलील पेश करने के लिए कोई वकील मौजूद नहीं था, जिसके कारण कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी।
वकील पर हमले के बाद जमानत याचिका पर अनिश्चितता
इस मामले से जुड़ी एक और अहम जानकारी यह है कि चिन्मय दास के वकील रामेन रॉय पर हाल ही में हमला हुआ था। इस हमले में उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और वे अब भी ठीक से अपने पेशेवर कार्यों को अंजाम देने में असमर्थ हैं। वकील की अनुपस्थिति के कारण जमानत याचिका पर सुनवाई प्रभावित हुई।
इस्कॉन ने जताई चिंता
इस घटना पर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) ने गंभीर चिंता जाहिर की है। संगठन ने वकील पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह घटना न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश है। इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि रामेन रॉय पर हुए हमले की गहन जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार
चिन्मय दास के समर्थक और इस्कॉन से जुड़े अन्य सदस्य इस मामले में जल्द सुनवाई और निष्पक्ष न्याय की मांग कर रहे हैं। अदालत ने अभी तक अगली सुनवाई की तारीख घोषित नहीं की है।
घटना का पृष्ठभूमि
चिन्मय कृष्ण दास, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उन्हें हाल ही में एक विवादित मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसे लेकर हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन भी किया। इस गिरफ्तारी के बाद उनकी रिहाई के लिए जमानत याचिका दायर की गई थी।
क्या हो सकती हैं आगे की चुनौतियां?
रामेन रॉय की गंभीर हालत और उनके पेशेवर कार्यों में असमर्थता से इस मामले में न्याय प्रक्रिया और जमानत पर फैसला लेने में देरी हो सकती है। इस बीच, इस्कॉन ने कहा है कि यह हमला केवल वकील पर नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय प्रणाली पर भी हमला है।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों से जुड़े इस तरह के मामलों ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। अब देखना होगा कि सरकार और न्यायपालिका इस मामले को किस तरह संभालती है।