पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती द्वारा हिंदुत्व और हिंदू धर्म पर दिए गए बयान से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बयान की आलोचना में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने प्रतिक्रिया दी है, इसे लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने इल्तिजा मुफ्ती के बयान की निंदा करते हुए कहा:
“किसी घटना को धर्म से जोड़कर उसे बदनाम नहीं करना चाहिए। सनातन धर्म ऐसा नहीं है। कुछ कट्टरपंथी और जहरीले लोग हैं, जो इस तरह की बयानबाजी करते हैं, और दुर्भाग्यवश ऐसे लोग दोनों तरफ हैं। कट्टरपंथियों की निंदा होनी चाहिए, न कि किसी धर्म की।”
मुख्य बिंदु:
- सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि हिंदू या इस्लाम धर्म की आलोचना नहीं होनी चाहिए।
- समाज में फैले कट्टरपंथ की निंदा जरूरी है।
इल्तिजा मुफ्ती का बयान:
इल्तिजा मुफ्ती ने अपने बयान में कहा था:
“हिंदुत्व और हिंदू धर्म में बहुत अंतर है। हिंदुत्व एक नफरत की विचारधारा है, जिसे सावरकर ने फैलाया था। इसका मकसद हिंदुओं का वर्चस्व स्थापित करना है। ‘जय श्री राम’ का नारा अब भीड़ हिंसा का प्रतीक बन गया है, जबकि हिंदू धर्म करुणा और प्रेम सिखाता है।”
बीजेपी का पलटवार:
बीजेपी नेता अजय आलोक ने इल्तिजा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए कहा:
“सबसे बड़ी बीमारी तो मुफ्ती परिवार है। अगर उन्हें हिंदुत्व से दिक्कत है, तो वे इससे दूर रहें। अगर उन्हें यह बीमारी लग गई, तो वे बच नहीं पाएंगे।”
सारांश:
- कांग्रेस ने इल्तिजा मुफ्ती के बयान की निंदा करते हुए दोनों पक्षों के कट्टरपंथियों को जिम्मेदार ठहराया है।
- बीजेपी ने इसे मुफ्ती परिवार पर हमला बताते हुए कहा कि हिंदुत्व पर टिप्पणी गलत है।
- इल्तिजा मुफ्ती ने हिंदुत्व और हिंदू धर्म के बीच अंतर बताते हुए कहा कि हिंदुत्व नफरत फैलाने का साधन बन गया है।
इस विवाद से यह साफ है कि भारत में धर्म और राजनीति के मुद्दे पर कई मतभेद हैं और इसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।