AIN NEWS 1: आजकल बाजार में बिकने वाली सब्जियों और फलों में केमिकल मिलाने की खबरें आम हो चुकी हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। रंग-बिरंगे और आकर्षक फल-सब्जियों को देखकर हम उन्हें खरीद तो लेते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि वे खाने के लिए सुरक्षित हैं या नहीं। इस समस्या को हल करने के लिए बिहार के दो होशियार छात्रों ने एक अनोखी डिवाइस बनाई है, जो मिनटों में यह पता लगा सकती है कि फल या सब्जी में कोई खतरनाक केमिकल तो नहीं मिला हुआ है।
डिवाइस का निर्माण और उद्देश्य
पटना, बिहार के दो छात्रों, हर्ष राजपूत और श्रेयस ने दिल्ली में आयोजित एक एग्जीबिशन में अपनी इस नवाचार डिवाइस को प्रस्तुत किया। हर्ष और श्रेयस ने बताया कि उन्होंने न्यूज़ में देखा था कि केमिकल से भरे टमाटरों के सेवन से कई बच्चों को बीमारियां हो रही थीं। इसके अलावा, आम जनता के पास लैब में टेस्ट करवाने का खर्च उठाने की क्षमता नहीं होती। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक किफायती और प्रभावी डिवाइस बनाने का निर्णय लिया।
डिवाइस की कार्यप्रणाली
हर्ष ने बताया कि यह डिवाइस अभी एक प्रोटोटाइप मॉडल है, जो पांच प्रकार की सब्जियों और फलों की शुद्धता की जांच कर सकती है। इन फलों और सब्जियों में सेव, संतरा, अमरूद, बैंगन और चीकू शामिल हैं। डिवाइस में दो लाइट्स लगी हैं, जिनकी किरणें फल या सब्जी से टकराती हैं। इसके बाद डिवाइस के स्क्रीन पर रिजल्ट दिखता है, जिससे यह पता चलता है कि फल या सब्जी खाने लायक है या नहीं। यह डिवाइस केवल 1 मिनट में जांच परिणाम प्रदान करती है, जिससे आम लोगों के लिए यह एक त्वरित और आसान उपाय बन जाती है।
किफायती डिवाइस और निर्माण की लागत
हर्ष ने बताया कि इस डिवाइस को बनाने में उन्होंने घरेलू सामान का इस्तेमाल किया है, जिससे इसकी कुल लागत केवल ₹1200 आई है। इस डिवाइस की खास बात यह है कि यह बाजार में उपलब्ध होने के बाद बड़े पैमाने पर लोगों के लिए किफायती और उपयोगी साबित होगी। हर्ष और श्रेयस की योजना है कि वे इसे जल्द ही बाजार में लाकर लोगों को इसका फायदा पहुंचाएं।
भविष्य की योजना और पुरस्कार
हर्ष और श्रेयस को इस डिवाइस के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा को आम जनता के लिए सुलभ बनाना है, ताकि लोग सुरक्षित और केमिकल-मुक्त फलों और सब्जियों का सेवन कर सकें। वे इस डिवाइस को और भी बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं और जल्द ही इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन में लाने की योजना बना रहे हैं।
हर्ष और श्रेयस का यह प्रयास खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। यह डिवाइस न केवल आम लोगों को फलों और सब्जियों में केमिकल मिलावट की पहचान करने में मदद करेगी, बल्कि इसके जरिए हम बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित कर सकेंगे।