Friday, January 10, 2025

बांग्लादेश में बीफ न परोसने वाले रेस्टोरेंट्स के खिलाफ प्रदर्शन, बहिष्कार की अपील?

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AIN NEWS 1: बांग्लादेश में 12 दिसंबर को “मुस्लिम कंज्यूमर राइट्स काउंसिल” द्वारा एक रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का मुख्य उद्देश्य उन रेस्टोरेंट्स का विरोध करना था, जो अपने मेन्यू में बीफ (गौमांस) नहीं परोसते। रैली में भाग लेने वालों ने बांग्लादेश की मुस्लिम पहचान को प्रमुखता से उठाते हुए ऐसे रेस्टोरेंट्स के बहिष्कार की अपील की।

मुस्लिम पहचान पर जोर

रैली में काउंसिल के प्रतिनिधियों ने कहा कि बांग्लादेश एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां बीफ एक पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण भोजन है। उनका कहना था कि कुछ रेस्टोरेंट्स ने बीफ को अपने मेन्यू से हटाकर बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं को नजरअंदाज किया है। यह देश की मुस्लिम पहचान और सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान है।

रेस्टोरेंट्स के खिलाफ विरोध

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि ऐसे सभी रेस्टोरेंट्स, जो बीफ नहीं परोसते, अपनी नीति में बदलाव करें। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो इन रेस्टोरेंट्स का व्यापक स्तर पर बहिष्कार किया जाएगा।

मेन्यू में विविधता की कमी का आरोप

काउंसिल का तर्क है कि रेस्टोरेंट्स मेन्यू में बीफ को शामिल न करके भोजन के प्रति विविधता और स्थानीय परंपराओं का सम्मान नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रेस्टोरेंट्स को अपने ग्राहकों की पसंद-नापसंद का ध्यान रखना चाहिए और स्थानीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करने वाले व्यंजन उपलब्ध कराने चाहिए।

बहिष्कार का ऐलान

रैली में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि रेस्टोरेंट्स बीफ परोसने की अपनी नीति नहीं बदलते, तो मुस्लिम समुदाय उनकी सेवाओं का उपयोग करना बंद कर देगा। उन्होंने इस मुद्दे को राष्ट्रीय गर्व और धार्मिक आस्था से जोड़ते हुए इसे गंभीरता से लेने का आग्रह किया।

प्रशासन से कार्रवाई की मांग

प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार और प्रशासन से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रेस्टोरेंट्स मुस्लिम बहुल देश की सांस्कृतिक और धार्मिक आवश्यकताओं का सम्मान करें।

विवाद का बढ़ता दायरा

इस घटना ने देश में एक नई बहस को जन्म दिया है। कई लोग इसे धार्मिक पहचान और व्यापारिक स्वतंत्रता के बीच का टकराव मान रहे हैं। हालांकि, रेस्टोरेंट्स की ओर से इस विषय पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

यह विरोध बांग्लादेश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के मुद्दे को एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में लेकर आया है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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