AIN NEWS 1 नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि छात्र कल्याण और परीक्षा तनाव को कम करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि एक समिति ने विद्यार्थियों की शिकायतों और उनके समाधान के लिए एक ‘ग्रिवांस रिपोर्टिंग और रिड्रेसल सेल’ बनाने का सुझाव दिया है।
प्रधान ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने छात्र कल्याण और परीक्षा तनाव कम करने के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं, और सरकार इन्हें लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, उन्होंने कोचिंग संस्थानों की भूमिका पर भी चर्चा की। मंत्री ने कहा, “कोचिंग केंद्र समाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इनका शोषण न हो और ये व्यावसायिक न बनें।”
वह आगे बोले, “हमने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) को सरल बनाने का काम शुरू कर दिया है। हम धीरे-धीरे प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रवेश परीक्षा प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं और कंप्यूटर-एडेप्टिव टेस्टिंग के लिए कदम उठा रहे हैं। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) सार्वजनिक परीक्षण प्लेटफॉर्म और अवसंरचना तैयार कर रही है।”
प्रधान ने यह भी कहा कि माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा को इस प्रकार से तैयार किया जाना चाहिए कि छात्र प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर सकें। इसके लिए, उन्होंने शिक्षा और मानसिक परीक्षण (Psychometry) के निरंतर शोध और विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर के. राधाकृष्णन करेंगे। यह समिति भारतीय शिक्षा को वैश्विक मानकों तक पहुंचाने के लिए रणनीतियां तैयार करेगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर यह स्पष्ट किया कि सरकार शिक्षा क्षेत्र में सुधारों को लागू करने और छात्रों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है।