Sunday, December 22, 2024

46 साल बाद संभल के पीड़ितों ने मांगा इंसाफ, 1978 के दंगे में 24 हिंदुओं की दर्दनाक हत्या का मामला फिर उठा?

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AIN NEWS 1 संभल: 1978 में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुए एक बड़े दंगे की दर्दनाक कहानी एक बार फिर चर्चा में है। इस घटना में 24 निर्दोष हिंदुओं की निर्मम हत्या कर दी गई थी। 46 साल बाद, इस नरसंहार के पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचे हैं।

क्या हुआ था 1978 में?

यह घटना 1978 में संभल के नखासा क्षेत्र में हुई थी। बनवारी लाल गोयल, जो खंडसारी के बड़े व्यापारी और साहूकार थे, उनके अहाते में कई हिंदुओं ने शरण ली थी। उन्हें भरोसा था कि वहां वे सुरक्षित रहेंगे।

लेकिन, दंगाइयों ने ट्रैक्टर-ट्राली की मदद से अहाते की दीवार तोड़ दी।

24 हिंदुओं को बेरहमी से पीटने के बाद उनके हाथ-पांव काटे गए और टायरों के ढेर पर जिंदा जला दिया गया।

खुद बनवारी लाल गोयल को भी मारकर आग में झोंक दिया गया।

बेटे विनीत गोयल का दर्द

46 साल बाद, बनवारी लाल गोयल के पुत्र विनीत गोयल ने संभल का दौरा किया। उन्होंने उस दर्दनाक घटना को याद करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता और अन्य निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई।

उन्होंने कहा, “हमने अपने प्रियजनों को खो दिया, लेकिन आज तक हमें न्याय नहीं मिला। योगी सरकार से उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी।”

सीएम योगी का जिक्र

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना का जिक्र उत्तर प्रदेश विधानसभा में किया। उन्होंने इसे हिंदुओं के खिलाफ हुई अमानवीय हिंसा का प्रतीक बताते हुए पीड़ित परिवारों की पीड़ा साझा की। योगी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं समाज के लिए चेतावनी हैं और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

मंदिर का पुनरुद्धार और विनीत की अपील

विनीत गोयल ने संभल में कार्तिकेय भगवान के प्राचीन मंदिर के दर्शन भी किए। उन्होंने इस मंदिर के पुनरुद्धार को हिंदू संस्कृति और इतिहास का प्रतीक बताया।

इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी से अपील की कि दोषियों को सजा दिलाई जाए। उन्होंने कहा, “जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं और अभी जीवित हैं, उन्हें कानून के कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।”

1978 का संभल दंगा: एक काला अध्याय

1978 का संभल दंगा भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय है। इस सामूहिक हत्याकांड ने न केवल संभल के लोगों को, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

आज 46 साल बाद भी, यह घटना पीड़ित परिवारों की यादों में ताजा है। अब सवाल यह है कि क्या इस हत्याकांड के पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा और क्या दोषियों को सजा दी जाएगी?

यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के बराबर है। पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना न केवल उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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