AIN NEWS 1 चंदौसी, संभल (विधान केसरी): चंदौसी के मुस्लिम बहुल मोहल्ला लक्ष्मण गंज में एक प्राचीन बाबड़ी की खोज ने क्षेत्र में इतिहास के नए पन्ने को खोल दिया है। शनिवार को जब संपूर्ण समाधान दिवस में सनातन सेवक संघ के पदाधिकारियों ने इस बाबड़ी के खुदाई की मांग की, तो जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एडीएम न्यायिक सतीश कुमार कुशवाहा और तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में खुदाई शुरू करवाई। दो जेसीबी मशीनों से खुदाई के दौरान बाबड़ी की दीवारें और प्राचीन इमारतों के अवशेष मिले।
खुदाई में मिले बाबड़ी के अवशेष
शनिवार को खुदाई का काम नगर पालिका के सहयोग से किया गया, जिसमें तहसीलदार धीरेंद्र कुमार सिंह और हल्का लेखपाल भी शामिल थे। यह खुदाई मोहल्ला लक्ष्मण गंज के एक खाली प्लॉट में की गई, जहां पहले से ही यह क्षेत्र बावड़ी के नाम से जाना जाता था। खुदाई के दौरान जमीन के नीचे प्राचीन इमारत के अवशेष पाए गए, जिनमें कुछ कमरे और एक सुरंग होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है।
इस बाबड़ी का निर्माण प्राचीन काल में राजा सहसपुर की रानी द्वारा कराया गया था, और इसे व्यापार के दौरान विश्राम स्थल के रूप में उपयोग किया जाता था। इसके अलावा, इस बावड़ी से जुड़ी किवदंती भी है कि चंदौसी कभी रूहेलों के राज्य में व्यापार का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था, और यहां दूर-दराज से व्यापारी आते थे।
सनातन सेवक संघ की पहल
सनातन सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख कौशल किशोर वंदेमातरम् ने इस बावड़ी की खुदाई की मांग जिलाधिकारी से की थी। उन्होंने समाधान दिवस में डीएम से पत्र के माध्यम से यह अपील की थी कि इस बावड़ी का सौंदर्यीकरण किया जाए और इस प्राचीन धरोहर की खुदाई कराई जाए। डीएम ने तत्काल इस पर संज्ञान लिया और एडीएम न्यायिक सतीश कुमार कुशवाहा तथा तहसीलदार को खुदाई कराने के निर्देश दिए।
खुदाई में मिली प्राचीन दीवारें
शनिवार शाम को खुदाई का कार्य शुरू हुआ और करीब पौन घंटे की खुदाई के बाद बावड़ी की दीवारें साफ दिखाई देने लगीं। इस दौरान एडीएम और तहसीलदार के नेतृत्व में नगर पालिका की टीम ने दो जेसीबी मशीनों का उपयोग किया। हालांकि, अंधेरा होने की वजह से शाम 6 बजे के करीब खुदाई को रोक दिया गया। अब रविवार को पुनः खुदाई की जाएगी, ताकि पूरे क्षेत्र की जांच की जा सके और बावड़ी के अन्य अवशेषों को बाहर लाया जा सके।
प्राचीन बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व
प्राचीन काल में बावड़ियां और कुएं पानी के स्रोत हुआ करते थे, खासकर ऐसे क्षेत्र में जहां पानी की आपूर्ति की समस्या होती थी। इन बावड़ियों का निर्माण खासतौर पर व्यापारिक क्षेत्रों और आवासीय इलाकों के पास किया जाता था, ताकि व्यापारी और स्थानीय लोग आराम से पानी का इस्तेमाल कर सकें। लक्ष्मण गंज में मिली यह बावड़ी भी व्यापारिक इतिहास से जुड़ी हुई है, जहां व्यापारियों के विश्राम के लिए कमरों का निर्माण कराया गया था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस बावड़ी का निर्माण 1857 के आस-पास बिलारी की रानी सुरेंद्रबाला ने कराया था। इसके पास स्थित कुछ कमरे और कुआं भी प्राचीन समय में बनाए गए थे, जो अब खंडहर में तब्दील हो गए हैं। इस बावड़ी को लेकर एक और दिलचस्प बात यह सामने आई है कि इस स्थान को बाद में स्व. लल्लाबाबू ने खरीद लिया था, और इसके बाद प्लॉटिंग कर दी गई।
प्लॉटिंग के दौरान बावड़ी का हिस्सा छोड़ने की परंपरा
मोहल्ले के बुजुर्गों के अनुसार, इस जगह को प्लॉटिंग के दौरान एक पारंपरिक मान्यता के तहत छोड़ दिया गया था। हिंदू धर्म में मान्यता है कि बावड़ी या कुआं बेचना अशुभ माना जाता है, इसलिए इस स्थान पर एक प्लॉट के बराबर जगह पार्क के रूप में छोड़ दी गई थी। इसे बाद में मिट्टी डालकर पाट दिया गया और पार्क बना दिया गया।
ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा की आवश्यकता
इस खुदाई से यह साबित होता है कि चंदौसी एक ऐतिहासिक स्थल रहा है, जहां न केवल प्राचीन भवन और बावड़ियां पाई जाती हैं, बल्कि यह स्थल व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी प्रमुख केंद्र था। अब जब यह प्राचीन बावड़ी फिर से सामने आई है, तो क्षेत्रवासियों और इतिहासकारों की जिम्मेदारी बनती है कि इस धरोहर की रक्षा की जाए और इसके सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया को भी सुचारू रूप से पूरा किया जाए।
स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि इस बावड़ी और मंदिर के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि आने वाली पीढ़ी इस धरोहर से परिचित हो सके और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सके। साथ ही, इस क्षेत्र में और भी खुदाई और अनुसंधान की आवश्यकता है, ताकि इस ऐतिहासिक स्थल के और भी राज उजागर किए जा सकें।
भविष्य की योजनाएं
अब जब बावड़ी की दीवारें और अवशेष सामने आ चुके हैं, प्रशासन ने खुदाई को जारी रखने का निर्णय लिया है। अगले कुछ दिनों में और अधिक खुदाई की जाएगी, और इस प्राचीन धरोहर की पूरी तस्वीर सामने आएगी। प्रशासन का उद्देश्य इस स्थान को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करना और स्थानीय लोगों को इस स्थान के महत्व से अवगत कराना है।
इसी तरह के कई अन्य ऐतिहासिक स्थल चंदौसी में हो सकते हैं, जिनकी खोज और संरक्षण की आवश्यकता है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस बावड़ी और मंदिर के संरक्षण के लिए किस तरह के कदम उठाता है और इस धरोहर को भविष्य में किस प्रकार से सहेजता है।
चंदौसी की प्राचीन बावड़ी की खोज ने क्षेत्र में एक नई ऐतिहासिक खोज को जन्म दिया है। जिलाधिकारी के आदेश पर हुई खुदाई में प्राप्त अवशेष यह सिद्ध करते हैं कि चंदौसी एक प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था। इस बावड़ी का इतिहास, निर्माण और इसके संरक्षण के प्रयास क्षेत्रवासियों और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।