AIN NEWS 1: सेना के पूर्व जवान महेश सिंह ने दिल्ली पुलिस में भर्ती के लिए छह साल तक कोर्ट में लड़ाई लड़ी और आखिरकार जीत हासिल की। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि महेश सिंह की भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
क्या है मामला?
2018 में दिल्ली के उपराज्यपाल के निर्देश पर त्रिपुरा के मूल निवासियों के लिए दिल्ली पुलिस ने अस्थायी कांस्टेबल (एग्जीक्यूटिव) के पद पर भर्ती निकाली थी। इस भर्ती में कुल 44 पदों पर नियुक्तियां होनी थीं, जिसमें आरक्षण के प्रावधान शामिल थे। महेश सिंह ने सेना के पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित एक पद के लिए आवेदन किया था।
आरक्षण में फंसा पेंच
भर्ती प्रक्रिया के दौरान, दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि महेश सिंह की नियुक्ति के लिए आरक्षण की संख्या पूरी नहीं हो रही है। दिल्ली पुलिस के अनुसार, आरक्षण 0.12 प्रतिशत अंकों से कम था।
हाईकोर्ट का निर्णय
इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सी. हरीशंकर और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने दिल्ली पुलिस के तर्क को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी संख्या का मान 0.5 या उससे अधिक है, तो उसे अगली पूर्ण संख्या के बराबर माना जाता है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण 0.88 प्रतिशत था, जो 0.5 से अधिक है। इसलिए इसे 1 प्रतिशत माना जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे महेश सिंह के पक्ष में मानते हुए उनकी भर्ती को जायज ठहराया।
कैट ने भी दिया था पक्ष में फैसला
इससे पहले, केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने भी महेश सिंह के पक्ष में फैसला दिया था और उनकी नियुक्ति का आदेश दिया था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने भी कैट के आदेश को बरकरार रखते हुए दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी।
भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को तुरंत महेश सिंह की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि पूर्व सैन्यकर्मी के अधिकारों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।
यह मामला दिखाता है कि कानूनी लड़ाई और धैर्य के साथ न्याय पाया जा सकता है। महेश सिंह की जीत केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि यह पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए न्याय और अधिकारों की मिसाल भी है।