AIN NEWS 1: स्वामी विवेकानंद के आश्रम में रोज़ाना कई लोग उनसे मिलने और मार्गदर्शन लेने आते थे। एक दिन, एक व्यक्ति उनके पास आया और अपनी असफलताओं के बारे में सवाल पूछने लगा। उसने कहा, “मैं दिनभर मेहनत करता हूं और कई काम करता हूं, फिर भी मुझे सफलता क्यों नहीं मिलती?”
विवेकानंद ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं। व्यक्ति लगातार अपनी समस्याओं को बयान करता रहा। जब वह शांत हुआ, तो स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हारी समस्या का हल बताऊंगा, लेकिन पहले एक छोटा-सा काम करना होगा।”
स्वामी जी की परीक्षा
स्वामी जी ने व्यक्ति से कहा, “आश्रम में एक कुत्ता है। क्या तुम उसे थोड़ा घुमा सकते हो? वह बड़ा आज्ञाकारी है। जो इसे घुमाने जाता है, वह अभी नहीं आया है।”
व्यक्ति ने सोचा कि यह तो बहुत आसान काम है और तुरंत सहमति दे दी। वह कुत्ते को घुमाने ले गया।
घटना से छिपा संदेश
करीब एक घंटे बाद व्यक्ति कुत्ते को घुमाकर लौटा। कुत्ता बुरी तरह थका हुआ था और हांफ रहा था, जबकि व्यक्ति ज्यादा थका हुआ नहीं लग रहा था।
स्वामी विवेकानंद ने उससे पूछा, “तुम दोनों साथ गए और साथ लौटे, लेकिन यह कुत्ता इतना थक गया है, जबकि तुम थके हुए नहीं लगते। ऐसा क्यों?”
व्यक्ति ने जवाब दिया, “जब मैं इसे घुमाने ले गया, तो यह हर गली में दूसरे कुत्तों को देखकर वहां दौड़ने लगता। मुझे इसे बार-बार रस्सी खींचकर वापस लाना पड़ा। पूरे समय यह इधर-उधर दौड़ता रहा। इसलिए यह थक गया, जबकि मैं इसके पीछे नहीं दौड़ा।”
स्वामी विवेकानंद की सीख
यह सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा, “इसी घटना में तुम्हारी समस्या का हल छिपा है। तुम भी इस कुत्ते की तरह इधर-उधर भागते रहते हो। कई काम एक साथ करने की कोशिश में न तो तुम्हारी ऊर्जा सही दिशा में लगती है और न ही कोई काम पूरा हो पाता है। यही तुम्हारी असफलता का कारण है।”
उन्होंने समझाया, “सफलता के लिए जरूरी है कि तुम अपने कामों की प्राथमिकता तय करो। सबसे महत्वपूर्ण काम को पहले पूरा करो। एक समय में एक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करो और उसी पर अपनी ऊर्जा लगाओ। जब तुम योजनाबद्ध तरीके से काम करोगे, तो सफलता जरूर मिलेगी।”
स्वामी विवेकानंद की यह कहानी हमें सिखाती है कि सफलता के लिए फोकस और प्राथमिकता सबसे अहम हैं। अगर हम अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएं और एक-एक करके अपने काम पूरे करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।