Monday, December 23, 2024

आगरा में पुलिस की लापरवाही: मुर्दे से बयान लेकर कराए हस्ताक्षर, चार दरोगाओं पर मुकदमा?

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पुलिस की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। हरीपर्वत थाना क्षेत्र के चार दरोगाओं पर आरोप है कि उन्होंने एक मृत व्यक्ति से बयान लिया और उससे हस्ताक्षर कराए। इस घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। चारों दरोगाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और मामले की जांच शुरू हो गई है।

यह मामला 2018 का है, जब श्रीराम फाइनेंस कंपनी के मैनेजर और एक मृत व्यक्ति के बीच धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस ने कथित तौर पर मृत व्यक्ति के बयान लिए और उसके हस्ताक्षर भी कराए, जो न केवल कानून की अवहेलना थी, बल्कि एक गंभीर अपराध भी था। मृत व्यक्ति के खिलाफ फर्जी चार्जशीट भी लगाई गई थी।

मंगल सिंह राना, जो इस मामले के वादी हैं, ने आरोप लगाया कि प्रताप सिंह नामक व्यक्ति ने श्रीराम फाइनेंस से 1,43,381 रुपये का लोन लिया था, और वे इसके गारंटर थे। 2016 में प्रताप सिंह का निधन हो चुका था, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया और एक साल बाद उनकी मृत्यू के बाद के घटनाक्रम को आधार बना कर केस में चार्जशीट भी लगाई।

पुलिस ने मामले की विवेचना के दौरान मृत प्रताप सिंह के नाम पर बयान दर्ज किए। इस बीच, आरोप है कि पुलिस ने उनका मृत्यु प्रमाण पत्र नजरअंदाज कर दिया और एक फर्जी तरीके से उन पर हस्ताक्षर कराए। चौंकाने वाली बात यह थी कि पुलिस ने 2016 में मृत हुए प्रताप सिंह से 41 ए नोटिस भी तामील किया, जबकि यह किसी जीवित व्यक्ति के लिए ही संभव था।

विवेचना के दौरान चार दरोगाओं—मनीष कुमार, राजीव तोमर, राकेश कुमार और अमित प्रसाद—के नाम सामने आए हैं, जो इस पूरे मामले में शामिल थे। यह पूरी घटना उजागर होने के बाद इन चारों दरोगाओं पर एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा, श्रीराम फाइनेंस के मैनेजर नवीन गौतम पर भी आरोप हैं, जिन्होंने इस मामले में फर्जी साक्ष्य प्रस्तुत किए थे।

इसके अलावा, एसआई अमित प्रसाद की पहले भी एक विवाद में नाम आया था। एक महिला दरोगा के द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद, अमित प्रसाद को निलंबित कर दिया गया था। इस लापरवाही और फर्जी साक्ष्य संकलन को लेकर पुलिस विभाग में हलचल मच गई है, और अब इस मामले की गहन जांच की जा रही है।

इस घटना ने पुलिस के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, और यह साफ हो गया है कि निजी स्वार्थ के लिए कानून का उल्लंघन किया गया था। पुलिस प्रशासन को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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