Tuesday, December 24, 2024

शेख हसीना को प्रत्यर्पण की मांग, बांग्लादेश सरकार ने भारत को लिखा पत्र

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AIN NEWS 1 | बांग्लादेश ने अपनी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए भारत सरकार से आधिकारिक अनुरोध किया है। बांग्लादेश के गृह और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मामले में भारत को पत्र लिखा है, जिसमें शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए वापस भेजने की मांग की गई है।

बांग्लादेश का बयान

बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा:
“हमने भारत से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेजा जाए ताकि वह यहां चल रही न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर सकें।”

गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को इस मांग के लिए निर्देश दिया है।

भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी। यह संधि आतंकवाद, हत्या, बम धमाका और गंभीर अपराधों में शामिल आरोपियों के प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त करती है।

संधि की शर्तें:

  1. राजनीतिक प्रकृति के अपराध:
    अगर आरोप राजनीतिक प्रकृति के हों, तो प्रत्यर्पण का अनुरोध खारिज किया जा सकता है।
  2. आम अपराध:
    हत्या, आतंकवाद, बम धमाके, और गुमशुदगी जैसे अपराधों में प्रत्यर्पण की मांग की जा सकती है।

शेख हसीना पर आरोप

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर बांग्लादेश में सामूहिक हत्या, जालसाजी, लूटपाट, और लोगों को गायब कराने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

  • ‘अन्फोल्डिंग द ट्रूथ’ रिपोर्ट:
    इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शेख हसीना ने अपने विरोधियों को दबाने के लिए कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को गायब करवाया है।

राजनीतिक विवाद

इस मामले ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों में संवेदनशीलता को बढ़ा दिया है।

  • बांग्लादेश सरकार ने प्रत्यर्पण संधि का हवाला देते हुए मांग की है।
  • हालांकि, शेख हसीना के खिलाफ लगाए गए आरोपों को राजनीतिक प्रकृति का मानते हुए भारत इस अनुरोध को खारिज कर सकता है।

क्या करेगी भारत सरकार?

भारत सरकार को अब यह तय करना है कि वह संधि की शर्तों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर क्या रुख अपनाती है।

  • अगर शेख हसीना के खिलाफ लगे आरोप राजनीतिक पाए जाते हैं, तो भारत इस अनुरोध को अस्वीकार कर सकता है।
  • अगर संधि की शर्तें पूरी होती हैं, तो प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

यह मामला न केवल कानूनी बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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