Tuesday, December 24, 2024

भारत-बांग्लादेश बिजली विवाद: 200 करोड़ रुपये का बकाया और बिगड़ते रिश्ते

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भारत और बांग्लादेश के बीच वर्षों से व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने इन रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया है। खासकर बिजली आपूर्ति को लेकर बांग्लादेश पर भारत का 200 करोड़ रुपये का बकाया गंभीर चर्चा का विषय बन गया है।

बिजली आपूर्ति और बकाया का मुद्दा

  • त्रिपुरा की भूमिका:
    • त्रिपुरा से बांग्लादेश को 60-70 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है।
    • यह आपूर्ति एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड के माध्यम से की जाती है।
    • मार्च 2016 से यह आपूर्ति शुरू हुई थी।
  • बकाया राशि:
    • बांग्लादेश पर भारत का लगभग 200 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है।
    • त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि बकाया राशि लगातार बढ़ रही है और जल्द भुगतान जरूरी है।
    • बिजली आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए बकाया राशि का भुगतान जरूरी है।
  • अडानी पावर का मसला:
    • झारखंड के गोड्डा प्लांट से अडानी पावर बांग्लादेश को 1400-1500 मेगावाट बिजली आपूर्ति करता था।
    • अगस्त 2024 में 680 करोड़ रुपये का भुगतान न होने के कारण बिजली आपूर्ति घटाकर 529 मेगावाट कर दी गई।

बांग्लादेश का बदला रवैया

  • बांग्लादेश सरकार के भारत के प्रति तल्ख रवैये ने रिश्तों को और खराब कर दिया है।
  • हिंदुओं पर हमले:
    • भारत ने बार-बार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाया, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
  • पाकिस्तान से संबंध:
    • बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए उच्चस्तरीय बैठकें की हैं।

त्रिपुरा सरकार का बयान

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि:

  • अभी तक बिजली आपूर्ति रोकने पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
  • बांग्लादेश की ओर से जल्द भुगतान की उम्मीद है।
  • बिजली संयंत्र के लिए बांग्लादेश ने भारत को सुविधाएं दी थीं, जिसके चलते बिजली आपूर्ति जारी रखने का निर्णय लिया गया था।

क्या बांग्लादेश अंधेरे में डूब सकता है?

  • अगर त्रिपुरा और अडानी पावर से बिजली की आपूर्ति बंद हो जाती है, तो बांग्लादेश का बड़ा हिस्सा अंधेरे में डूब सकता है।
  • एनर्जी सप्लाई में बाधा से बांग्लादेश की औद्योगिक और घरेलू आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाएंगी।

भारत का रुख

  • भारत अब तक बांग्लादेश के प्रति नरम रहा है।
  • हालांकि, अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं होता, तो भारत सख्त कदम उठा सकता है।
  • इस कदम से बांग्लादेश को अपने आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों पर पुनर्विचार करना होगा।

निष्कर्ष

भारत और बांग्लादेश के बीच बिजली आपूर्ति का मुद्दा दोनों देशों के रिश्तों की परीक्षा ले रहा है। बकाया राशि का भुगतान न केवल आपूर्ति बनाए रखने के लिए बल्कि दोनों देशों के संबंधों को सुधारने के लिए भी जरूरी है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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